लेखक (धर्मवीर भारती) का चरित्र-चित्रण | Character Sketch of the Writer (Dharamvir Bharti) from CBSE Class 12 Hindi Chapter 12 काले मेघा पानी दे
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लेखक (धर्मवीर भारती) का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of the Writer)
काले मेघा पानी दे संस्मरण में लोक-प्रचलित विश्वास और विज्ञान के संघर्ष का सुंदर चित्रण है। एक तरफ विज्ञान का अपना तर्क है और विश्वास का अपना सामर्थ्य। पढ़े-लिखे समाज में भी अक्सर इस बात पर चर्चा होती रहती है कि कौन अधिक सार्थक है। इसी दुविधा को लेकर लेखक ने पानी के संदर्भ में इस प्रसंग को रचा है। इस प्रसंग से लेखक के चरित्र की निम्नलिखित बातों का पता चलता है –
- गाँव रीति–रिवाजों की जानकारी – लेखक को गाँव के कई ऐसे रीति–रिवाजों की जानकारी है जिनको शायद ही कोई आधुनिक व्यक्ति जानता हो। जैसे संस्मरण की शरुवात ने धर्मवीर भारती जी बताते हैं कि गाँव में बच्चों की एक मंडली हुआ करती थी जिसमें 10-12 से लेकर 16-18 साल के लड़के होते थे। ये बच्चे अपने शरीर पर सिर्फ एक लंगोटी या जांगिया पहने रहते थे। जब जेठ का महीना बीत जाता और आषाढ़ भी आधा गुजर जाता मगर फिर भी बारिश नहीं होती तब गांवों व शहरों में सूखे के से हालत हो जाते हैं। मिट्टी इतनी सुखी हो जाती है कि जमीन भी फटने लगती है। इंसान व जानवर पानी के बैगर तड़प–तड़प कर मरने लगते मगर फिर भी आसमान में बादलों का कही कोई निशान तक दिखाई नहीं देता। और विज्ञान भी उनकी इसमें कोई मदद नहीं कर पाता तब ऐसे मुश्किल हालातों में लोग अपने–अपने क्षेत्रों में प्रचलित लोक विश्वासों जैसे पूजा पाठ, हवन–यज्ञ आदि के सहारे भगवान इंद्र से प्रार्थना कर वर्षा की उम्मीद लगाने लगाते थे। जब यह सब कुछ करने के बाद भी केवल हार ही नसीब होती हैं तो फिर अंत में इंदर सेना को बुलाया जाता था।
- इंद्र सेना का पानी मांगने का तरीका लेखक को अंधविश्वास लगता था – इंद्र सेना, भगवान इंद्र से वर्षा की प्रार्थना करती हुई, गीत गाती हुई पूरे गांव में निकलती थी। उस समय लेखक को भी पानी मिलने की आशा में यह सब कुछ करना ठीक लगता था। परंतु एक बात लेखक की समझ में नहीं आती थी कि जब चारों ओर पानी की इतनी अधिक कमी है कि जानवर और इंसान, दोनों ही पानी के लिए परेशान हो रहे हैं तो फिर भी मुश्किल से इकट्ठा किया हुआ पानी लोग इंद्रसेना पर डाल कर उसे क्यों बर्बाद करते हैं। लेखक को यह सब सरासर अंधविश्वास लगता था।
- लेखक के अनुसार अन्धविश्वास देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं – लेखक को लगता था कि इंद्र सेना पर विश्वास रखने जैसे अन्धविश्वास देश को न जाने कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं। लेखक के अनुसार तो यह इंद्र सेना नही बल्कि पाखंड हैं। ऐसा लेखक इसलिए कहते हैं क्योंकि अगर यह इंद्र सेना, सच में इंद्र महाराज से पानी दिलवा सकती तो, क्या वो पहले अपने लिए पानी नहीं मांग लेती। लेखक का मानना है कि इस तरह के अंधविश्वास के कारण ही तो हम अंग्रेजों से पिछड़ गए और उनके गुलाम हो गये।
- लेखक बचपन से ही आर्य समाजी संस्कार से प्रभावित थे – लेखक बचपन से ही आर्य समाजी संस्कार से प्रभावित थे। वो “कुमार सुधार सभा” के उपमंत्री भी थे। जिसका कार्य समाज में सुधार करना व अंधविश्वास को दूर करना था। लेखक हमेशा अपनी वैज्ञानिक सोच के आधार पर अंधविश्वासों के तर्क ढूंढते रहते थे।
- लेखक के द्वारा उठाए हुए प्रश्न हमेशा से प्रासंगिक रहे है – आज भी लेखक के द्वारा उठाए हुए प्रश्न उतने ही प्रासंगिक है जितने उनके बचपन में हुआ करते थे। लेखक के अनुसार हम अपने देश के लिए करते क्या हैं? क्योंकि हमारी मांगें तो हर क्षेत्र में बड़ी–बड़ी है पर त्याग का कहीं कोई नाम भी नहीं है। अपना स्वार्थ साधना ही एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम खूब मज़े ले लेकर लोगों की भ्रष्टाचार की बातें तो खूब करते हैं लेकिन क्या हम खुद उसी भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे है।
लेखक (धर्मवीर भारती) के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of the Writer)
प्रश्न 1 – काले मेघा पानी दे संस्मरण में लेखक किस मुद्दे को लेकर बात कर रहा है?
प्रश्न 2 – लोगों ने बच्चों की मंडली के दो बिलकुल विपरीत नाम रखे हुए थे – इन्द्रसेना और मेंढक मंडली। दोनों के अर्थ स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 3 – इन्द्रसेना और मेंढक मंडली का क्या कार्य था?
प्रश्न 4 – पानी की कमी से परेशान लोग क्या–क्या उपाय करते थे?
प्रश्न 5 – लेखक द्वारा इंद्र–सेना से पानी माँगने के तरीकों को अंधविश्वास मानते थे। फिर भी कुछ रीति–रिवाजों को क्यों अपनाया और किसके कहने पर?
प्रश्न 6 – जीजी ने इंद्रसेना के ऊपर पानी फेंकने को सही ठहराते हुए क्या तर्क दिए?
प्रश्न 7 – “बादल आते हैं पानी बरसता है लेकिन बैल प्यासे के प्यासे और गगरी फूटी की फूटी रहती हैं। आखिर यह स्थिति कब बदलेगी ”। लेखक की इस पंक्ति का क्या आशय है?
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