Kaise Kare Kahani Ka Natya Rupantaran Question Answers

 

CBSE Class 12 Hindi Core Abhivyakti Aur Madhyam Book  Chapter 11 कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण Question Answers 

 

Kaise Kare Kahani Ka Natya Rupantaran Class 12 – CBSE Class 12 Hindi Core Abhivyakti Aur Madhyam Book Chapter 11 Kaise Kare Kahani Ka Natya Rupantaran Question Answers. The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions of the chapter, extract based questions, multiple choice questions, short and long answer questions. 

 सीबीएसई कक्षा 12 हिंदी अभिव्यक्ति और माध्यम पुस्तक पाठ 11 कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण प्रश्न उत्तर | इस लेख में NCERT की पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर  तथा महत्वपूर्ण प्रश्नों का व्यापक संकलन किया है। 

 

Also See  : कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण पाठ सार Class 12 Chapter 11

 

कैसे करें कहानी का नाट्य  रूपांतरण पाठ पर आधारित प्रश्नोत्तर (Question and Answers)   

 

 

प्रश्न 1 – कहानी और नाटक में क्या-क्या समानताएँ होती हैं?

उत्तर – कहानी और नाटक में निम्नलिखित समानताएँ हैं –

– कहानी का मूलाधार कथानक होता है, नाटक भी कथानक पर ही आधारित होता है।

– कहानी में घटनाएँ क्रमबद्ध रहती हैं, नाटक में भी घटनाओं का वर्णन क्रमबद्ध रूप में होता है।

– कहानी में पात्रों की मुख्य भूमिका होती है, नाटक की रचना में भी पात्रों का मुख्य स्थान होता है।

– कहानी में एक परिवेश रहता है, नाटक में भी परिवेश होता है।

– कहानी में पात्रों के मध्य द्वंद्व होता है, नाटक के पात्रों के मध्य भी द्वंद्व दिखाया जाता है।

– कहानी उद्देश्य विशेष को लेकर चलती है, नाटक भी उद्देश्य विशेष को लेकर ही लिखा जाता है।

– कहानी का चर्मोत्कर्ष होता है,  नाटक का भी चर्मोत्कर्ष होता है।

 

प्रश्न 2 – स्थान और समय को ध्यान में रखते हुए दोपहर का भोजन कहानी को विभिन्न दृश्यों में विभाजित करें। किसी एक दृश्य का संवाद भी लिखें।

उत्तर – दोपहर का भोजन एक अत्यंत संवेदनशील कहानी है। निम्नलिखित दृश्यों में विभाजित करके इस कहानी का नाट्य रूपांतरण किया जा सकता है-

जैसे –

प्रथम दृश्य – सिद्धेश्वरी के घर की दयनीय दशाको दिखाया जा सकता है, जहाँ अस्त-व्यस्त पुराने वस्त्र पड़े हैं और टूटी हुई चारपाई पर उसका सबसे छोटा बीमार पुत्र है जिसके मुख पर मक्खियों का भिनभिनाना  है।

दूसरा दृश्य – सिद्धेश्वरी द्वारा बार-बार दरवाजे की ओर नज़रें टिका कर गली में आते-जाते लोगों को देखना।

तीसरा दृश्य – थके हारे रामचंद्र का घर में प्रवेश करना और उसका हताश होकर बैठना, सिद्धेश्वरी द्वारा उसे खाना परोसना और दोनों की आपस में बातचीत को दिखाया जा सकता है।

चौथा दृश्य – खाना खाकर रामचंद्र का बाहर जाना और फिर मोहन का घर में प्रवेश करना और खाना खाते समय मोहन का अपनी माँ से बातें करना और फिर घर से बाहर चले जाना।

पाँचवाँ दृश्य – चंद्रिका प्रसाद का परेशान मुद्रा में आना फिर भोजन करना और पति-पत्नी का वार्तालाप होना, उसके द्वारा खाना खाकर उठना।

छठा दृश्य – इस दृश्य में सिद्धेश्वरी का खाना-खाने बैठना और अपने सोए हुए पुत्र को देखकर उसके लिए आधी रोटी रख देना और स्वयं रोते हुए अधिकांश भोजन करना साथ ही साथ सारे घर में मक्खियों का भिनभिनाना और चंद्रिका प्रसाद का निश्चित होकर सोना दिखाया जा सकता है।

उदाहरण के लिए सिद्धेश्वरी और रामचंद्र का दृश्य –

सिद्धेश्वरी-भोजन कर लो बेटा!

(रामचंद्र बिना उत्तर दिए भोजन करता है। माँ उस पर पंखा झलती रहती है।)

सिद्धेश्वरी-क्या दफ्तर में कोई खास बात हुई है?

रामचंद्र-नहीं, हर रोज़ जैसा था।

सिद्धेश्वरी-फिर चुप-चुप क्यों हो?

रामचंद्र-लाला दिन-भर काम तो लेता है, लेकिन पैसे देते हुए उसकी जान निकलती है। सिद्धेश्वरी-यह सब तो सहना पड़ेगा।

रामचंद्र-परंतु …..

सिद्धेश्वरी-(बीच में टोकती हुई) बेटे! जब तक कोई दूसरा काम नहीं मिल जाता, तब तक तो सहन करना ही पड़ेगा।

रामचंद्र-सो तो है ही।

(सिद्धेश्वरी उसे रोटी लेने के लिए कहती है लेकिन वह सिर हिलाकर मना कर देता है और हाथ धोकर बाहर चला जाता है।)

 

 

प्रश्न 3 – कहानी के नाट्य रूपांतरण में संवादों का विशेष महत्त्व होता है। नीचे ईदगाह कहानी से संबंधित कुछ चित्र दिए जा रहे हैं। इन्हें देखकर लिखें।

Kaise Kare Kahani Ka Natya Rupantaran 1

Kaise Kare Kahani Ka Natya Rupantaran 2

उत्तर –

ईदगाह कहानी का नाट्य रूपांतरण

महमूद-(जेब से निकालकर पैसे गिनता है)-अरे, मोहसिन! मेरे पास बारह पैसे हैं।

मोहसिन मेरे पास तो पंद्रह पैसे हैं। इतने सारे पैसों से खूब मिठाइयाँ खाएँगे और खिलौने लेंगे।

हामिद तेरे पास कितने पैसे हैं? हामिद-अभी दादी जान से लेकर आता हूँ। अभी तो जेब खाली है।

महमूद-हाँ; भाग कर जा। ईदगाह जाना है। बहुत दूर है यहाँ से।

हामिद-(कोठरी का दरवाजा खोलकर) दादी जान, मैं भी मेले में जाऊँगा। सब जा रहे हैं ईदगाह। मुझे पैसे दो।

अमीना-तू इतनी दूर कैसे जाएगा?

हामिद-(उत्साहित होकर) महमूद, मोहसिन, नूरा के साथ जाऊँगा। दादी जान सब जा रहे हैं।

अमीना-(बटुआ खोलते हुए) लो बेटे, यही तीन पैसे हैं। सबके साथ रहना। जल्दी घर लौट आना।

हामिद–हाँ, दादीजान जल्दी घर आ जाऊँगा।

मोहसिन-अरे, तेज-तेज चलो। ईदगाह जल्दी पहँचना है।

महमूद-देख यार! कितने मोटे-मोटे आम लगे हैं।

हामिद-लीचियाँ भी तो लगी हैं।

नूरा-थोड़े से आम तोड़ लें।

हामिद-नहीं-नहीं, माली मारेगा।

महमूद-देखो! कितनी बड़ी-बड़ी इमारतें हैं।

मोहसिन-देख, यह कॉलेज है। इसमें बड़ी-बड़ी मूछों वाले बड़े-बड़े लड़के पढ़ते हैं। सामने क्लब घर है।

हामिद-ये बड़े लड़के भी रोज़ मार खाते होंगे। हमारे मदरसे में भी दो-तीन बड़े लड़के रोज़ मार खाते हैं।

महमूद-यहाँ बड़ी भीड़ है। लोगों ने कितने सुंदर कपड़े पहन रखे हैं और यहाँ मोटरें भी हैं।

हामिद-देख, यह पुलिस लाइन है। यहीं पर सिपाही कवायद करते हैं। रात को ये लोग घूम-घूमकर पहरा देते हैं।

महमूद-अज़ी हजरत! यही तो चोरी करते हैं। शहर के सारे चोर-डाकू इनसे मिले होते हैं।

मोहसिन-(चिल्लाते हुए) अरे! वह रही ईदगाह। अरे! यह तो बहुत बड़ी है।

हामिद-देखो! सब लोग कतार में खड़े हैं। यहाँ कोई धन और पद नहीं देखता। इस्लाम की नज़र में सब बराबर हैं।

महमूद-आओ! गले मिलेंगे। सब सिजदे में झुक रहे हैं। एक-दूसरे के गले मिल रहे हैं।

मोहसिन-आओ! हामिद तुम भी गले मिलो। नमाज़ के बाद सब गले मिलते हैं।

महमूद-आओ! अब खिलौने खरीदेंगे।

मोहसिन-यहाँ तरह-तरह के खिलौने हैं-सिपाही, गुजरिया, राजा और वकील। देखो! यह किश्ती, साधू और धोबिन। हामिद-वाह! कितने सुंदर खिलौने हैं।

महमूद-मैं तो सिपाही लूँगा। देखो, इसके हाथ में बंदूक है। सिर पर लाल पगड़ी है। अरे नूरे! तू क्या लेगा?

नूरा-मैं तो वकील लूँगा। देखो, इसने काला चोगा पहना हुआ है। हामिद! तुम क्या लोगे?

हामिद-मैं ये खिलौने नहीं लूँगा। ये सभी मिट्टी के बने हैं। गिर गए तो चकनाचूर हो जाएँगे।

मोहसिन-यह तो अपने पैसे बचाना चाहता है।

सम्मी-हाँ, बेचारा क्या करे? इसके पास तो कुल तीन पैसे हैं। आओ! हम मिठाई लेंगे।

हामिद-(हाथ में चिमटा लेकर) देखो, मैंने यह खरीदा है।

महमूद-(हँसते हुए) अरे! चिमटा किस काम का है। इससे क्या खेला जा सकता है।

हामिद-देखो, यह कितना मजबूत है। लोहे का है।

महमूद-पर, यह खिलौना तो नहीं है।

हामिद क्यों नहीं? कँधे पर रखो तो बंदूक हो गई। हाथ में लिया तो फकीरों का चिमटा बन गया। चिमटे के एक वार से सब खिलौने चकनाचूर हो जाएँगे। अरे! मेरा चिमटा बहादुर शेर है।

सम्मी-मेरी बँजरी से बदलेगा?

हामिद-चिमटा तुम्हारी बँजरी का पेट फाड़ देगा। सिपाही भी मिट्टी की बंदूक फैंककर भाग खड़ा होगा।

मोहसिन-हाँ भाई ठीक है इसका चिमटा सचमुच रुस्तम-ए-हिंद है।

महमूद-यार हामिद! तू अपना चिमटा देकर मेरा खिलौना ले लो।

हामिद-न भाई! मैं यह अपनी दादी के लिए लाया हूँ। रोटियाँ सेकते हुए अब उसकी उँगलियाँ नहीं जलेंगी।

मोहसिन-यार! तू तो सचमुच बड़ा समझदार है।

हामिद-(दादी को चिमटा देते हुए) दादी यह चिमटा तुम्हारे लिए लाया हूँ। अब आराम से रोटियाँ सेंकना।

दादी-(रोते हुए) मेले में जाकर भी तुम मेरी ही चिंता करते रहे।

 

 

कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण पाठ पर आधारित अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर – (Important Question Answers)

 

प्रश्न 1 – कहानी का नाटक में रूपांतरण करने के लिए क्या आवश्यक है?

उत्तर कहानी का नाटक में रूपांतरण करने के लिए सबसे पहले कहानी और नाटक में  विविधता या अनेकता तथा समानताओं को समझना आवश्यक है। इसके लिए हमें नाटक की विशेषताओं को समझना होगा। जहाँ कहानी का संबंध लेखक और पाठक से जुड़ता है वहीं नाटक लेखक, निर्देशक, पात्र, दर्शक, श्रोता एवं अन्य लोगों को एकदूसरे से जोड़ता है। चूँकि दृश्य का स्मृतियों से गहरा संबंध होता है इसलिए नाटक एवं फ़िल्म को लोग देर तक याद रखते हैं। यही कारण है कि गोदान, देवदास, उसने कहा था, सद्गति आदि के नाट्य रूपांतरण कई बार हुए हैं और कई तरह से हुए हैं।

 

प्रश्न 2 – कहानी और नाटक में अंतर् स्पष्ट कीजिए। 

उत्तरकहानी कही जाती है या पढ़ी जाती है। नाटक मंच पर प्रस्तुत किया जाता है। नाटक को मंच पर अभिनेता अभिनय द्वारा प्रस्तुत करते हैं। मंच सज्जा होती है, संगीत होता है, प्रकाश व्यवस्था होती है।

 

प्रश्न 3 – कहानी और नाटक में समानता स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर समानता यह होती है कि कहानी और नाटक दोनों में एक कहानी होती है, पात्र होते हैं, परिवेश होता है, कहानी का क्रमिक विकास होता है, संवाद होते हैं, द्वंद्व होता है, चरम उत्कर्ष होता है।

 

प्रश्न 4 – दृश्यों को लिखते हुए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

त्तरदृश्यों को लिखते हुए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  •  स्थान और समय के आधार पर कहानी का विभाजन करके दृश्यों को लिखा जा सकता है।
  • प्रत्येक दृश्य का कथानक के अनुसार औचित्य हो।
  •  ऐसे दृश्य नहीं हो सकते जो अनावश्यक हों। ये नाटक की गति को बाधित करेंगे और नाटक उबाऊ हो जाएगा।
  •  प्रत्येक दृश्य का कथानुसार तार्किक विकास हो रहा है या नहीं। यह सुनिश्चित करने के लिए दृश्य विशेष के उद्देश्य और उसकी संरचना पर विचार आवश्यक है। प्रत्येक दृश्य एक बिंदु से प्रारंभ होता है। कथानुसार अपनी आवश्यकताएँ पूरी करता है और उसका ऐसा अंत होता है जो उसे अगले दृश्य से जोड़ता है।
  • दृश्य का पूरा विवरण तैयार किया जाना चाहिए। कहीं ऐसा हो कि दृश्य में कोई आवश्यक जानकारी छूट जाए या उसका क्रम बिगड़ जाए।
  • नाटक ही में नहीं बल्कि नाटक के प्रत्येक दृश्य में प्रारंभ, मध्य और अंत होता है।
  •  दृश्य कई काम एक साथ करता है। एक ओर वह कथानक को आगे बढ़ाता है तो दूसरी ओर पात्रों और परिवेश को संवादों के माध्यम से स्थापित करता है।
  • दृश्य अगले दृश्य के लिए भूमिका भी तैयार करता है।
  • ऐसा हो सकता है कि कुछ ऐसे दृश्य बनते हों जिनमें लेखक ने केवल विवरण दिया हो और उसमें कोई संवाद हो। ऐसे दृश्यों का भी पूरा खाका तैयार कर लेना चाहिए। यह अवश्य देखना चाहिए कि जानकारियाँ, सूचनाएँ और घटनाएँ दोहराई गई हों।
  • दृश्य निर्धारित करने के बाद दृश्यों और मूल कहानी को पढ़ने से यह अनुमान लग सकता है कि मूल कहानी में ऐसा क्या है जो दृश्यों में नहीं आया है।
  •  लेखक द्वारा परिवेश का विवरण या परिस्थितियों पर टिप्पणियाँ प्रायः दृश्यों में नहीं ढल पातीं। यह देखना आवश्यक है कि परिस्थिति, परिवेश, पात्र, कथानक से संबंधित विवरणात्मक टिप्पणियाँ किस प्रकार की हैं।

 

प्रश्न 5 – विवरणों को नाटक में किस प्रकार स्थान दिया जाता है?

उत्तर विवरणों को नाटक में स्थान

विभिन्न प्रकार के विवरणों को नाटक में स्थान देने के अलगअलग तरीके हैं। उदाहरण के लिए विवरणात्मक टिप्पणी यदि परिवेश के बारे में है तो उसे मंच सज्जा के अंतर्गत लिया जा सकता है या पार्श्व संगीत के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है। विवरण यदि पात्रों के बारे में है तो उन्हें संवादों के माध्यम से निर्धारित दृश्यों में उचित स्थान पर दिया जा सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि कहानी में व्यक्त महत्त्वपूर्ण सूत्र नाटक के स्वरूप के अनुसार अपनी जगह निर्धारित कर लेते हैं।

 

प्रश्न 6 – संवाद लेखन की कौन सी शर्तें हैं?

उत्तर संवाद लेखन की शर्तें

दृश्य निर्धारित हो जाने पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि दृश्य की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने वाले तथा दृश्य के क्रमिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त संवाद हैं या नहीं। यदि पर्याप्त संवाद नहीं हैं तो उन्हें लिखने का काम किया जाता है।

  • सबसे पहली और महत्त्वपूर्ण शर्त यह है कि नए लिखे संवाद, कहानी के मूल संवादों के साथ मेल खाते हों।
  •  दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह कि उनके लिखे जाने का सौ प्रतिशत औचित्य हो।
  • तीसरी बात जो ध्यान में रहे वह यह है कि संवाद छोटे, प्रभावशाली और बोलचाल की भाषा में हों। कहानी में छपे लंबे संवाद को पाठक पढ़ सकता है लेकिन मंच पर बोले गए लंबे संवाद से तारतम्य बनाए रख पाना कठिन होता है।

 

प्रश्न 7 – संवाद को नाटक में प्रभावशाली किस प्रकार बनाया जा सकता है?

उत्तर संवाद को नाटक में प्रभावशाली बनाने का तरीका

  •       संवाद को नाटक में प्रभावशाली बनाने का एक तरीका अभिनय है जो प्रायः निर्देशक का काम है, पर लेखक भी इस ओर संकेत कर सकता है।
  •       पात्र की भावभंगिमाओं और उसके तौरतरीकों से प्रभाव उत्पन्न किया जा सकता है।
  •       कहानी के लंबे संवादों को छोटा करके उन्हें अधिक नाटकीय बनाया जा सकता है।
  •       स्थानीय रंग में संवादों को रंग कर चरित्रचित्रण को परिमार्जित किया जा सकता है।

 

प्रश्न 8 – रूपांतरण में पात्रों के मनोभावों या मानसिक द्वंद्व के दृश्यों की नाटकीय प्रस्तुति में आने वाली समस्या का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है?

उत्तर पात्रों के मनोभावों या मानसिक द्वंद्व के दृश्यों की नाटकीय प्रस्तुति में समस्या व् निर्धारण

रूपांतरण में एक समस्या पात्रों के मनोभावों को कहानीकार द्वारा विवरण के रूप में व्यक्त प्रसंगों या मानसिक द्वंद्व के दृश्यों की नाटकीय प्रस्तुति में सकती है। उदाहरण के लिए ईदगाह का वह हिस्सा जहाँ हामिद इस द्वंद्व में है कि क्याक्या खरीदे या जहाँ वह यह सोचता है कि अम्मा का हाथ जल जाता है, उसका रूपांतरण कठिन है। रूपांतरण में इस तरह के विवरण प्रस्तुत करने के लिए स्वगत कथन का प्रयोग किया जाता है जिसमें लेखक मंच के कोने में जाकर अपने आपसे यह संवाद बोलता है। लेकिन आजकलवायस ओवर’अर्थात ऐसी ध्वनि जो दर्शकों को सुनाई देती है पर पात्र नहीं बोलता के माध्यम से संभव है। अम्मा वाले अंश के लिए फ़ैलेशबैक शैली का उपयोग किया जा सकता है। इसी प्रकार हामिद की ललचाई आँखों, होठों पर जीभ फेरते और बाद में भारी कदमों से दुकान से दूर जाने का दृश्य बनाया जा सकता है। कहानी का नाट्य रूपांतरण करने से पहले यह जानकारी होना आवश्यक है कि वर्तमान रंगमंच में क्या संभावनाएँ हैं। यह तभी संभव है जब अच्छे नाटक देखे जाएँ। इसलिए रूपांतरण का पहला पाठ यही हो सकता है कि अच्छी नाट्य प्रस्तुतियाँ देखी जाएँ।

 

कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण पाठ पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (Multiple Choice Questions)

 

प्रश्न 1 – कहानी का नाटक में रूपांतरण करने के  लिए सबसे पहले क्या समझना आवश्यक है?

() कहानी और नाटक में  विविधता को

() कहानी और नाटक में  समानताओं को

() कहानी और नाटक में अनेकता को

() उपरोक्त सभी

उत्तर – () उपरोक्त सभी

 

प्रश्न 2 – कहानी और नाटक दोनों में क्या समानता होती है?

() कि कहानी और नाटक दोनों में एक कहानी होती है, पात्र होते हैं, परिवेश होता है

() कि कहानी और नाटक दोनों में क्रमिक विकास होता है

() कि कहानी और नाटक दोनों में संवाद होते हैं, द्वंद्व होता है, चरम उत्कर्ष होता है

() उपरोक्त सभी

उत्तर () उपरोक्त सभी

 

प्रश्न 3 – नाटक एवं फ़िल्म को लोग देर तक क्यों याद रखते हैं?

() दृश्य का नाटक से गहरा संबंध होता है

() दृश्य का स्मृतियों से गहरा संबंध होता है

() दृश्य का आँखों से गहरा संबंध होता है

() दृश्य का कहानी से गहरा संबंध होता है

उत्तर – () दृश्य का स्मृतियों से गहरा संबंध होता है

 

प्रश्न 4 – कहानी को नाटक में रूपांतरित करने के लिए सबसे पहले कहानी की विस्तृत कथावस्तु को किसके के आधार पर विभाजित किया जाता है?

() समय और कहानी के

() पात्र और स्थान के

() समय और स्थान के

() समय और पात्र के

उत्तर() समय और स्थान के

 

प्रश्न 5 – कथावस्तु किन घटनाओं का लेखाजोखा है?

() जो जीवन में घटती है

() जो दृश्यों में घटती है

() जो समय के साथ घटती है

() जो कहानी में घटती है

उत्तर () जो कहानी में घटती है

 

प्रश्न 6 – किसके आधार पर कहानी का विभाजन करके दृश्यों को लिखा जा सकता है?

() स्थान और समय

() स्थान और पात्र 

() पात्र और समय

() कथावस्तु और समय

उत्तर () स्थान और समय

 

प्रश्न 7 – विवरणात्मक टिप्पणी यदि परिवेश के बारे में है तो उसे किसके अंतर्गत लिया जा सकता है?

() नाटक सज्जा के

() संगीत सज्जा के

() मंच सज्जा के

() दृश्य सज्जा के

उत्तर – () मंच सज्जा के

 

प्रश्न 8 – कहानी में व्यक्त महत्त्वपूर्ण सूत्र किसके अनुसार अपनी जगह निर्धारित कर लेते हैं?

() नाटक के स्वरूप के

() नाटक के दृश्य के

() नाटक के कथानक के

() नाटक के संवाद के

उत्तर() नाटक के स्वरूप के

 

प्रश्न 9 – संवाद को नाटक में प्रभावशाली बनाने का एक तरीका अभिनय है जो प्रायः किसका काम है?

() नाटककार का

() प्रबंधक का

() निर्देशक का

() लेखक का

उत्तर() निर्देशक का

 

प्रश्न 10 – स्वगत कथन किसे कहा जाता है

() जिसमें लेखक मंच के कोने में जाकर दर्शकों से संवाद बोलता है

() जिसमें लेखक मंच के कोने में जाकर अपने आपसे संवाद बोलता है

() जिसमें लेखक मंच के कोने में जाकर धीरे से संवाद बोलता है

() जिसमें लेखक मंच के कोने में जाकर जोरजोर से संवाद बोलता है

उत्तर () जिसमें लेखक मंच के कोने में जाकर अपने आपसे संवाद बोलता है