द्रौपदी मुर्मू पर निबंध

 

Essay on Draupadi Murmu in Hindi

 

आज के लेख में हम द्रौपदी मुर्मू पर निबंध लिखेंगे. द्रौपदी मुर्मू हमारे भारत देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति हैं. हम इन्हीं के व्यक्तिगत जीवन, राजनैतिक जीवन, उपलब्धियां के बारे में जानेगे 

 

द्रौपदी मुर्मू –  यह नाम पिछले कई हफ्तों से सोशल मीडिया और खबरों की हेडलाइन बना हुआ है। जी हां, यह नाम किसी और का नही वरन् हमारे देश की वर्तमान राष्ट्रपति का है जिनको भारत की जनजातीय समुदाय की प्रथम महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त हुआ है। 

 

अभी भी भारत में बहुत लोग हैं जो इनके बारे में नही जानते हैं तो इस लेख में हम द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। 

 

संकेत सूची (Contents)

 

 

प्रस्तावना

द्रौपदी मुर्मू एक भारतीय महिला राजनीतिज्ञ हैं।  भारत के सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने उन्हें अगले राष्ट्रपति के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया था और वो भारत की राष्ट्रपति बन गई हैं। इससे पहले वे 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल थीं। 

द्रौपदी शुरू से ही भारतीय जनता पार्टी की सदस्य रही हैं। 

 

वह भारत की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं, वह भाजपा से इस पद पर निर्वाचित होने वाली पहली आदिवासी महिला नेता हैं। 

2022 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें भाजपा ने यशवंत सिन्हा के खिलाफ नामांकित किया था।  

 

 

द्रौपदी मुर्मू की प्रारंभिक जिंदगी

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदोपोसी गाँव में एक आदिवासी समुदाय में हुआ था, उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। उनके पिता संथाल परिवार से ताल्लुक रखते थे, जो एक आदिवासी जातीय समूह है। वह पंचायती राज व्यवस्था के तहत ग्राम प्रधान थे। द्रौपदी मुर्मू की दादा भी ग्राम प्रधान के रूप में कार्यरत थे।  

 

उनकी नानी ने उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित किया, और वह तीन भाई-बहनों में अकेली थी, जिसने कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। 

वह अपने माता पिता की अकेली लड़की थी और उनके भाई का नाम भगत टुडु और सरानी टुडु था। वह हमेशा से अपने परिवार को आर्थिक रूप से सहारा देना चाहती थी और पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने काम करना शुरू कर दिया।आदिवासी महिला होने के कारण उनका जीवन हमेशा कठिन और कठिनाइयों से भरा रहा। उन्होंने  न केवल सामाजिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, बल्कि दुर्भाग्य और व्यक्तिगत नुकसान की पूरी की पूरी एक श्रृंखला का भी सामना करना पड़ा।उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा एक निजी स्कूल से की और रमा देवी लेडीज फैकल्टी, भुवनेश्वर, ओडिशा से कला वर्ग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है।
 

 

 

द्रौपदी मुर्मू की निजी जिंदगी

द्रौपदी का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ था, जो एक बैंक में अधिकारी के रूप में काम करते थे। उन्होंने अपने बच्चों की देखभाल के लिए शादी के बाद नौकरी छोड़ दी। द्रौपदी मुर्मू के तीन बच्चे थे जिसमे एक लड़की और दो लड़के थे।   अपने निजी जीवन में, उन्हें एक त्रासदी और कठिन वक्त का सामना करना पड़ा जब उनके पति और दोनों बेटों  की मृत्यु हो गई।  उन्होने अपने 25 वर्षीय बेटे को 2009 में रहस्यमय परिस्थितियों में खो दिया जब वह इस सदमे से उबर रही थी तभी 2013 में उन्होंने अपने दूसरे बेटे को एक दुर्घटना में खो दिया, उसके बाद उसी महीने उनके एक भाई और मां की मृत्यु हो गई। एक साल बाद, 2014 में, कार्डियक अरेस्ट के कारण उन्होंने अपने पति को खो दिया, जिससे वह अपने निजी जीवन में बहुत उदास और अकेली हो गई। अपने दो पुत्रों और पति की मृत्यु के बाद अवसाद से लड़ने के लिए उन्होंने ब्रह्माकुमारी निर्मला का अनुसरण करना शुरू कर दिया।  2018 के रक्षा बंधन में द्रौपदी मुर्मू ने ब्रह्माकुमारी निर्मला को राखी बांधी थी।

 

वर्तमान में, द्रौपदी मुर्मू की इकलौती बेटी इतिश्री यूको बैंक में काम करती हैं और उनकी शादी रग्बी खिलाड़ी गणेश हेम्ब्रम से हुई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इतिश्री और गणेश हेम्ब्रम ने हाल ही में अपने पहले बच्चे के जन्म का जश्न मनाया। 
 

 

द्रौपदी मुर्मू का कैरियर

राजनीतिक जीवन के क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले, उन्होंने 1979-1983 तक राज्य सिंचाई विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में काम किया।  बाद में उन्होंने एक शिक्षिका के रूप में भी काम किया।  

 

1994 में द्रौपदी मुर्मू को रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च में मानद शिक्षक के रूप में काम करने का मौका मिला।   

वहां काम करते हुए द्रौपदी मुर्मू को विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा सामाजिक कार्यों का हिस्सा बनने के भी प्रस्ताव मिले। 

उन्होंने एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम किया और शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गांवों का दौरा किया। 

 

पति और दो पुत्रों की मृत्यु के बाद द्रौपदी ने अपनी ससुराल पहाड़पुर की एक भूमि पर ट्रस्ट बना लिया और इस ट्रस्ट का नाम अपने पति और बेटों के नाम पर रखा। इस ट्रस्ट का नाम एसएलएस ट्रस्ट है और इस एसएलएस ट्रस्ट के स्कूल में वर्तमान में 70 छात्र और छह शिक्षक हैं। 
 

 

द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक कैरियर

वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं और उनका राजनीतिक जीवन 1997 में शुरू हुआ जब उन्हें रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद के रूप में चुना गया। उसी वर्ष, उन्हें रायरंगपुर एनएसी के उपाध्यक्ष के रूप में भी चुना गया। उन्होंने रायरंगपुर एनएसी के उपाध्यक्ष का चुनाव बहुत आसानी से जीत लिया क्योंकि द्रौपदी मुर्मू को उस क्षेत्र के लोगों से काफी प्यार और लगाव था और  रायरंगपुर में वह अपने सामाजिक कार्यों के लिए काफी लोकप्रिय थी। 

उन्होंने भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया।  वह दो बार 2000 और 2009 में, रायरंगपुर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर रायरंगपुर निर्वाचन क्षेत्र की विधायक का पद प्राप्त किया। 

द्रौपदी मुर्मू ओडिशा राज्य की मंत्री रही और मयूरभंज के रायरंगपुर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के विधायक के रूप में कार्यरत रही।ओडिशा में बीजद (बीजू जनता दल) और भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान द्रौपदी मुर्मू ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली।  

6 मार्च 2000 से 6 अगस्त 2002 तक, द्रौपदी मुर्मू वाणिज्य और परिवहन विभाग में स्वतंत्र प्रभार और राज्य मंत्री के पद पर आसीन रही और 6 अगस्त 2002 से 16 मई 2004 तक, द्रौपदी मुर्मू मत्स्य पालन विभाग में मंत्री और पशु विकास मंत्री के रूप में कार्यरत रही।  

अगले दशक में, उन्होंने भाजपा के भीतर कई प्रमुख पदों पर कार्य किया, एसटी मोर्चा के राज्य अध्यक्ष और मयूरभंज भाजपा जिला अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।  

द्रौपदी मुर्मू वर्ष 2007 में ओडिशा की विधान सभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक होने पर नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित हुई। 2013 में, द्रौपदी मुर्मू को मयूरभंज जिले के पार्टी के जिला अध्यक्ष के पद पर पदोन्नत किया गया।  

 

भारत की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल

द्रौपदी मुर्मू 2015 में झारखंड की प्रथम महिला राज्यपाल बनीं। द्रौपदी मुर्मू को किसी भारतीय राज्य की प्रथम आदिवासी महिला राज्यपाल बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।   

झारखंड की राज्यपाल बनने के बाद द्रौपदी मुर्मू ने 2017 में झारखंड विधान सभा के एक विधेयक में छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908, और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम 1949 में संशोधन के लिए मंजूरी देने से इनकार कर दिया। 

भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति

द्रौपदी मुर्मू जुलाई 2022 में राष्ट्रपति का चुनाव जीतकर भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त की। 
 

 

द्रौपदी मुर्मू की उपलब्धियां

समाज की मुख्य धारा से अलग होने के बावजूद द्रौपदी मुर्मू जी ने अपने राजनैतिक जीवन में कई उपलब्धियां धारण की हैं, जो सच में काबिले तारीफ है। 

 

  • वर्ष 1997 में द्रौपदी मुर्मू ने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत की, जब वह ओडिशा के रायरंगपुर जिले की पार्षद बनी।
  • 1997 में ही द्रौपदी मुर्मू को रायरंगपुर की उपाध्यक्ष बनने का भी मौका मिला। जहां द्रौपदी मुर्मू केवल एक साल ही उपाध्यक्ष के पद पर कार्य कर पाई। 
  • 2003 में उन्होंने अपने गांव में एक पुल बनवाया जिससे की लोग आराम से आ जा सके। 
  • 2004 में रायरंगपुर सीट पर हुए विधानसभा चुनावों में द्रौपदी मुर्मू की जीत हुई और उसके बाद उनको भाजपा में मंत्री पद के लिए चुना गया।   
  • 2004 के विधानसभा चुनाव में वह विजयी हुई और इस बार उन्हें रायरंगपुर सीट से भाजपा का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था।
  • 2006 में, द्रौपदी मुर्मू भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राज्य अध्यक्ष के चुनाव में विजय प्राप्त की तो  2006 में मयूरभंज से भाजपा जिलाध्यक्ष के चुनाव में विजय प्राप्त की।  
  • द्रौपदी मुर्मू वर्ष 2007 में ओडिशा की विधान सभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक होने पर नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित हुई। 
  • उन्हें मई 2015 में झारखंड के नौवें राज्यपाल के रूप में सेवा देने के लिए चुना गया था और झारखंड की पहली राज्यपाल बनी जो रिकॉर्ड 5 साल तक राज्यपाल बनी रही।
  • उन्होंने 2022 के राष्ट्रपति चुनाव जीता। 

 

 

उपसंहार

द्रौपदी मुर्मू भारत के एक प्रसिद्ध आदिवासी समुदाय संथाल  समुदाय से हैं लेकिन तब भी इतनी विनम्रता और मानवता होना काबिले तारीफ है। भारतीय समाज में एक आदिवासी महिला होकर राष्ट्रपति का पद प्राप्त करना अपने में ही एक उपलब्धि है क्योंकि भारतीय समाज में आज भी आदिवासियों को इतना महत्व नहीं दिया जाता न ही उनके विकास हेतु इतना सोचा जाता है। अपने साधारण और सरल  स्वभाव तथा नेक काम के कारण, उन्हें विभिन्न प्रतिष्ठित पदों पर भारत की सेवा का मौका मिला। एक बार, राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में एक पत्रकार से साक्षात्कार के दौरान, द्रौपदी मुर्मू ने कहा था कि अगर वह भारत का राष्ट्रपति बनती है तो वह बहुत खुश और आश्चर्यचकित महसूस करेगी।
 

 

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