नई शिक्षा नीति पर निबंध (New Education Policy 2020) Hindi Essay Writing
इस लेख में हम नई शिक्षा नीति पर निबंध लिखेंगे | नई शिक्षा नीति 2020 क्या है, नई शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण तथ्य, नई शिक्षा नीति के नकारात्मक तथा सकारात्मक परिणाम के बारे विस्तार से जानेगे|
नई शिक्षा नीति 2020 का परिचय
शिक्षा का शाब्दिक अर्थ है सीखने और सिखाने की क्रिया | इस प्रकार हम कह सकते हैं कि किसी भी समाज में चलने वाली वह निरंतर प्रक्रिया जिसका उद्देश्य इंसान की आन्तरिक शक्तियों का विकास करना और उसके व्यवहार में सुधार लाना है | शिक्षा का प्राथमिक उद्देश्य ज्ञान और कौशल में वृद्धि कर मनुष्य को योग्य नागरिक बनाना है |
गौरतलब है कि आजादी के बाद भारत में पहली शिक्षा नीति सन 1986 में बनाई गई थी जो मुख्यतः लॉर्ड मैकाले की अंग्रेजी प्रधान शिक्षा नीति पर आधारित थी | इसमें सन 1992 में कुछ संशोधन भी किए गए किंतु इसका ढांचा मूलतः अंग्रेजी माध्यम शिक्षा पर ही केंद्रित रहा।
आज समय के साथ हमें यह महसूस हुआ कि 1986 की वह शिक्षा नीति में कुछ खामियां हैं इसके तहत बच्चा ज्ञान तो हासिल कर रहा है किन्तु यह ज्ञान उससे भविष्य में रोजगार के अवसर पैदा करने योग्य नही बन पा रहा हैं |
अतः इन कमियों को दूर करने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लाने की आवश्यकता पड़ी |
नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, 21वीं शताब्दी की ऐसी पहली शिक्षा नीति है, जिसका लक्ष्य हमारे देश के विकास के लिए आने वाले आवश्यकता को पूरा करना है | यह नीति भारत की परंपरा और उसके सांस्कृतिक मूल्यों को बरकरार रखते हुए 21वीं सदी की शिक्षा के लिए आकांक्षात्मक लक्ष्य, जिसके अंतर्गत शिक्षा व्यवस्था उसके नियमों का वर्णन सहित सभी पक्षों के सुधार और पुनर्गठन का प्रस्ताव रखता है | राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रत्येक व्यक्ति में निहित रचनात्मक क्षमता के विकास पर जोर देती है | यह नीति इस सिद्धांत पर आधारित है कि शिक्षा से ना केवल साक्षरता, उच्च स्तर की तार्किक और समस्या समाधान संबंधित संज्ञानात्मक क्षमताओं का विकास होना चाहिए बल्कि नैतिक सामाजिक और भावनात्मक स्तर पर भी व्यक्ति का विकास होना चाहिए |
नवीन शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण तथ्य
नई शिक्षा नीति के निर्माण के लिये जून 2017 में पूर्व इसरो प्रमुख डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था, इस समिति ने मई 2019 में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा’ प्रस्तुत किया था। ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020′ वर्ष 1968 और वर्ष 1986 के बाद स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति होगी।
- NEP-2020 के तहत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर देश की जीडीपी के 6% हिस्से के बराबर निवेश का लक्ष्य रखा गया है।
- नई शिक्षा नीति में वर्तमान में सक्रिय 10+2 के शैक्षिक मॉडल के स्थान पर शैक्षिक पाठ्यक्रम को 5+3+3+4 प्रणाली के आधार पर विभाजित करने की बात कही गई है।
- तकनीकी शिक्षा, भाषाई बाध्यताओं को दूर करने, दिव्यांग छात्रों के लिये शिक्षा को सुगम बनाने आदि के लिये तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है।
- इस शिक्षा नीति में छात्रों में रचनात्मक सोच, तार्किक निर्णय और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करने पर बल दिया गया है।
- कैबिनेट द्वारा ‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय’ का नाम बदल कर ‘शिक्षा मंत्रालय’ करने को भी मंज़ूरी दी गई है।
- 3 वर्ष से 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये शैक्षिक पाठ्यक्रम का दो समूहों में विभाजन – 3 वर्ष से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये आँगनवाड़ी / बालवाटिका/ प्री-स्कूल के माध्यम से मुफ्त, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण “प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा” की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- 6 वर्ष से 8 वर्ष तक के बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा-1 और 2 में शिक्षा प्रदान की जाएगी।
- प्रारंभिक शिक्षा को बहुस्तरीय खेल और गतिविधि आधारित बनाने को प्राथमिकता दी जाएगी।
NEP-2020 में कक्षा-5 तक की शिक्षा में मातृभाषा/ स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को अध्यापन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है, साथ ही इस नीति में मातृभाषा को कक्षा-8 और आगे की शिक्षा के लिये प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।
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भाषाई विविधता को बढ़ावा और संरक्षण:
- स्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा परंतु किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव की कोई बाध्यता नहीं होगी।
- बधिर छात्रों के लिये राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएगी तथा भारतीय संकेत भाषा ISL को पूरे देश में मानकीकृत किया जाएगा।
- NEP-2020 के तहत भारतीय भाषाओं के संरक्षण और विकास के लिये एक ‘भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान’ IITI, ‘फारसी, पाली और प्राकृत के लिये राष्ट्रीय संस्थान (या संस्थान)’ [National Institute (or Institutes) for Pali, Persian and Prakrit] स्थापित करने के साथ उच्च शिक्षण संस्थानों में भाषा विभाग को मज़बूत बनाने एवं उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्यापन के माध्यम से रूप में मातृभाषा/ स्थानीय भाषा को बढ़ावा दिये जाने का सुझाव दिया है।
पाठ्यक्रम और मूल्यांकन:
- इस नीति में प्रस्तावित सुधारों के अनुसार, कला और विज्ञान, व्यावसायिक तथा शैक्षणिक विषयों एवं पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच बहुत अधिक अंतर नहीं होगा।
- कक्षा-6 से ही शैक्षिक पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा को शामिल कर दिया जाएगा और इसमें इंटर्नशिप की व्यवस्था भी दी जाएगी।
- ‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ NCERT द्वारा ‘स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा’ तैयार की जाएगी।
- NEP-2020 में छात्रों के सीखने की प्रगति की बेहतर जानकारी हेतु नियमित और रचनात्मक आकलन प्रणाली को अपनाने का सुझाव दिया गया है। साथ ही इसमें विश्लेषण तथा तार्किक क्षमता एवं सैद्धांतिक स्पष्टता के आकलन को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।
- छात्रों के समग्र विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कक्षा-10 और कक्षा-12 की परीक्षाओं में बदलाव किये जाएंगे। इसमें भविष्य में समेस्टर या बहुविकल्पीय प्रश्न आदि जैसे सुधारों को शामिल किया जा सकता है।
- छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन के लिये मानक-निर्धारक निकाय के रूप में ‘परख’ नामक एक नए ‘राष्ट्रीय आकलन केंद्र’ की स्थापना की जाएगी।
- NEP-2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में ‘सकल नामांकन अनुपात’ (Gross Enrolment Ratio) को 26.3% (वर्ष 2018) से बढ़ाकर 50% तक करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके साथ ही देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा।
- NEP-2020 के तहत स्नातक पाठ्यक्रम में महत्त्वपूर्ण सुधार किया गया है, इसमें मल्टीपल एंट्री एवं एग्जिट व्यवस्था को अपनाया गया है, इसके तहत 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र कई स्तरों पर पाठ्यक्रम को छोड़ सकेंगे और उन्हें उसी के अनुरूप डिग्री या प्रमाण पत्र दिये जाएगा –
- 1 वर्ष के बाद प्रमाण पत्र (सर्टिफिकेट )
- 2 वर्ष के बाद डिप्लोमा
- 3 वर्ष के बाद डिग्री
- 4 वर्ष के बाद शोध के साथ स्नातक
विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने के लिए एक अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट दिया जाएगा ताकि अलग अलग संस्थानों में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें डिग्री प्रदान की जा सकते हैं |
- नई शिक्षा नीति के तहत एम फिल कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया है |
भारत उच्च शिक्षा आयोग
चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक एकल निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission of India -HECI) का गठन किया जाएगा। HECI के कार्यों के प्रभावी और प्रदर्शितापूर्ण निष्पादन के लिये चार संस्थानों/निकायों का निर्धारण किया गया है-
- विनियमन हेतु- National Higher Education Regulatory Council- NHERC
- मानक निर्धारण- General Education Council- GEC
- वित पोषण- Higher Education Grants Council-HEGC
- प्रत्यायन- National Accreditation Council- NAC
नवीन शिक्षा नीति के पूर्व शैक्षणिक परिद्रश्य
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आने से पूर्व भारत में 1986 की शिक्षा नीति संचालित थी जिसमें केवल किताबी बातों पर ध्यान दिया जाता था पुराने शिक्षा नीति में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं था की स्कूल मैं कक्षा छठवीं से बारहवीं तक अर्जित किया गया ज्ञान भविष्य में कैसे रोजगार सृजन में सहायक होगा। पुराने शिक्षा नीति पाठ्यक्रम प्रधान थी, जिसमें इस बात पर जोर दिया जाता था। बचपन से ही बच्चों को अंग्रेजी में पढ़ने लिखने हेतु विवश किया जाता था, जिस कारण बच्चा अपनी मातृभाषा से अनभिज्ञ बना रहा। पहले उच्च शिक्षा ग्रहण करने के दौरान यदि किसी कारणवश बच्चा 1 या 2 साल बाद पढ़ाई बीच में छोड़ता था तो उसका नुकसान होता था। 1 या 2 वर्षों में उसने जो कुछ भी सीखा उसका कोई प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं होता था जिसके कारण पुनः डिग्री करने के लिए उसे अपने साल बर्बाद करने पड़ते थे। पहले कंप्यूटर या तकनीकी ज्ञान का अभाव था, बच्चा उच्च शिक्षण संस्थानों में जाकर कोडिंग का ज्ञान लेता था किंतु अब छठी कक्षा से ही बच्चों को कोडिंग सिखाई जाएगी।NEP-2020 में एक ऐसे पाठ्यक्रम और अध्यापन प्रणाली/विधि के विकास पर बल दिया गया है जिसके तहत पाठ्यक्रम के बोझ को कम करते हुए छात्रों में 21वीं सदी के कौशल के विकास, अनुभव आधारित शिक्षण और तार्किक चिंतन को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया जाए। पहले कॉलेज से 3 साल की डिग्री लेने के बाद 2 वर्ष स्नातकोत्तर और फिर 2 वर्ष का एमफिल उसके बाद 5 वर्ष पीएचडी करने के बाद शोध उपाधि प्राप्त हो पाती थी। किंतु अब एम फिल को समाप्त कर दिया है।
नई शिक्षा
1. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) 2020 में, भाषा एक नकारात्मक कारक है क्योंकि भारत में एक समस्याग्रस्त शिक्षक से छात्र अनुपात है, इसलिए शैक्षणिक संस्थानों में प्रत्येक विषय के लिए मातृभाषा की शुरूआत एक समस्या है। कभी-कभी एक सक्षम शिक्षक ढूंढना एक समस्या बन जाता है और अब NEP 2020 की शुरुआत के साथ एक और चुनौती आती है, जो अध्ययन सामग्री को मातृभाषा में लाता है।
2. 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) के अनुसार, जो छात्र स्नातक की पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं, उन्हें चार साल की पढ़ाई करनी होगी, जबकि कोई भी आसानी से दो साल में अपना डिप्लोमा पूरा कर सकता है।
यह छात्र को पाठ्यक्रम को आधा छोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
3. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, निजी स्कूलों के छात्रों को सरकारी स्कूलों के छात्रों की तुलना में बहुत कम उम्र में अंग्रेजी से परिचित कराया जाएगा। सरकारी स्कूल के छात्रों को संबंधित क्षेत्रीय भाषाओं में शैक्षणिक पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा।
यह नई शिक्षा नीति की प्रमुख कमियों में से एक है क्योंकि इससे अंग्रेजी में संवाद करने में असहज छात्रों की संख्या में वृद्धि होगी और इस प्रकार समाज के वर्गों के बीच की खाई को चौड़ा किया जा सकेगा।
नई शिक्षा नीति के सकारात्मक परिणाम
- नई शिक्षा नीति में मातृभाषा पर विशेष जोर दिया गया है जिससे बच्चा बचपन से ही अपनी मातृभाषा को अच्छे से समझ और जान पाएगा।
- इस नई नीति के तहत यदि कोई बच्चा अपनी उच्च शिक्षा पूरी कर पाने में असमर्थ है या 3 वर्ष का कोर्स पूरा नहीं कर पाता है तो भी उसका नुकसान नहीं होगा उसे सर्टिफिकेट, डिप्लोमा प्राप्त हो पाएगा। जिसका उपयोग वह रोजगार के क्षेत्र में कर पाएगा।
- छठी कक्षा से ही बच्चों को इंटर्नशिप कराई जाएगी जिससे व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।
- शिक्षा नीति में कोडिंग को भी शामिल किया गया है, यानी बच्चे मात्र किताबी और व्यावहारिक ज्ञान ही नहीं अपितु तकनीकी क्षेत्र में भी बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।
- कुल मिलाकर यह नीति बच्चे के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करेगी।
2020 में नई शिक्षा नीति 30 वर्षों के बाद आई और भारत की मौजूदा शैक्षणिक प्रणाली को अकादमिक के अंतरराष्ट्रीय स्तर के बराबर बनाने के उद्देश्य से बदलने के लिए पूरी तरह तैयार है। भारत सरकार का लक्ष्य वर्ष 2040 तक एनईपी की स्थापना करना है। लक्षित वर्ष तक, योजना का मुख्य बिंदु एक-एक करके लागू किया जाना है।
एनईपी 2020 द्वारा प्रस्तावित सुधार केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से लागू होगा। कार्यान्वयन रणनीति पर चर्चा के लिए केंद्र और राज्य दोनों स्तर के मंत्रालयों के साथ विषयवार समितियों का गठन किया जाएगा।
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निष्कर्ष
यह भारतीय मूल्यों से विकसित शिक्षा प्रणाली है जो सभी को उच्च गुणवत्ता शिक्षा उपलब्ध कराकर और भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाकर भारत को एक जीवंत बनाए समाज में बदलने के लिए प्रत्यक्ष रूप से योगदान करेगी | इस नीति में परिकल्पित है हमारे संस्थानों की पाठ्य चर्चा और शिक्षा विधि जो छात्रों में अपने मौलिक दायित्व और संवैधानिक मूल्य देश के साथ जुड़ाव और बदलते विश्व में नागरिक की भूमिका के उत्तरदायित्व की जागरूकता उत्पन्न करें | इस नीति का विजन है छात्रों में, भारतीय होने का गर्व, केवल विचार में नहीं बल्कि व्यवहार, बुद्धि और कार्यों में भी रहे ; साथ ही ज्ञान, कौशल, मूल्यों और सोच में भी होना चाहिए | जो मानव अधिकार हो स्थाई विकास और जीवन यापन तथा वैश्विक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हो ताकि वह सही मायने में एक योग्य नागरिक बन सकें |
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