Durga Puja Essay (दुर्गा पूजा ) for all classes from Class 1 to Class 12 (Hindi Essay and Paragraph Writing)

दुर्गा पूजा संक्षिप्त निबंध/ अनुच्छेद

दुर्गा पूजा पर निबंध (Durga Puja Essay in Hindi) –  इस लेख में हम दुर्गा पूजा का महत्व, दुर्गा पूजा का इतिहास, दुर्गा पूजा कैसे मनाया जाता है के बारे में जानेंगे|  | दुर्गा पूजा हिन्दुओ के प्रसिद्ध त्योहारों में  से एक है, इस पर्व में माता दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है। इस पर्व को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग प्रकार से मनाया जाता है कही डांडिया खेला जाता है तो कही नाच गाना होता है।अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में दुर्गा पूजा पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में दुर्गा पूजा पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 और 350 शब्दों में संक्षिप्त निबंध/अनुच्छेद दिए गए हैं।

दुर्गा पूजा  पर 10 लाइन  10 lines on Durga Puja in Hindi

 

  1. दुर्गा पूजा हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है।
  2. दुर्गा पूजा बंगाल में बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है क्योंकि यह बंगालियों का प्रमुख त्यौहार होता है।
  3. इस उत्सव के दौरान देवी दुर्गा की नौ दिनों तक विशेष रूप से पूजा की जाती है ।
  4. दुर्गा पूजा को  शरदोत्सव अथवा दुर्गोत्सव भी कहते हैं।
  5. देशभर में देवी के प्रमुख मंदिरों में अनुष्ठान, पूजा और लंगर आयोजित किया जाता है।
  6. दुर्गा पूजा के दौरान बहुत से लोग नौ दिनों तक उपवास रखते हैं और ‘दुर्गा चालीसा’ का पाठ करते हैं।
  7. पूरे देश में दुर्गा पूजा पर देवी मां की प्रतिमा रखने के लिए भव्य पंडाल बनाए जाते हैं।
  8. देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था, जो बुराई पर अच्छाई के जीत का प्रतीक है। 
  9. अष्टमी और महानवमी पर नौ कन्याओं को दुर्गा माता के रूप में पूजा जाता है।
  10. दुर्गा पूजा के दसवें दिन रावण दहन और मूर्ति विसर्जन की जाता है।

Short Essay on Durga Puja in Hindi दुर्गा पूजा पर अनुच्छेद कक्षा 1 to 12 के छात्रों के लिए 100, 150, 200, 250 से 300 शब्दों में

 

दुर्गा पूजा पर निबंध/अनुच्छेद – दुर्गा पूजा हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव या शरदोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गा पूजा बंगाल में बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है क्योकि यह बंगालियों का प्रमुख त्यौहार होता है। दुर्गा पूजा का पर्व हिन्दू देवी दुर्गा की बुराई के प्रतीक राक्षस महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा पर निबंध कक्षा 1, 2 और 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

 

दुर्गा पूजा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे भारत में हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान सभी लोग मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। इन दिनों लोग उपवास रखते हैं और पूरी श्रद्धा और भाव के साथ माता का भजन कीर्तन करते हैं। आखिरी के तीन दिन (सप्तमी, अष्टमी व नवमी) को दुर्गा माता की विशेष रूप से पूजा की जाती है। अष्टमी व नवमी को कन्या पूजन किया जाता है और दशमी के दिन, देवी मां की मूर्तियों को पानी में विसर्जित करके उत्सव का समापन किया जाता है। इस पर्व से जुड़ी एक कथा के अनुसार, देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था, जो बुराई पर अच्छाई के जीत का प्रतीक है। 

दुर्गा पूजा पर अनुच्छेद कक्षा 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

 

दुर्गा पूजा अथवा दुर्गोत्सव अथवा शरदोत्सव भारतीय में मनाया जाने वाला, एक वार्षिक हिन्दू त्योहार है जिसमें देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। दुर्गा पूजा का पर्व हिन्दू देवी दुर्गा की बुराई के प्रतीक राक्षस महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, झारखंड, मणिपुर, ओडिशा और त्रिपुरा आदि राज्यों में व्यापक रूप से मनाया जाता है। दुर्गा पूजा नौ दिनों तक होती है लेकिन आखिरी के तीन सप्तमी, अष्टमी व नवमी का विशेष महत्व होता है। पिछले कुछ वर्षों से दुर्गा पूजा पंडालों में आयोजित किया जाता है। दुर्गा माता की मूर्तियों को आकर्षक तरीके से सजाकर सुसज्जित पंडालों में रखते है। पंडालों में पूजा सातवें दिन से आरंभ की जाती है सभी भक्त अपनी पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ माता का दर्शन करने जाते हैं और माता से अपने अच्छे भविष्य की कामना करते है। पूजा समारोह समाप्त होने के बाद देवी दुर्गा की मूर्तियों को नदी में विसर्जित किया जाता है।

दुर्गा पूजा पर अनुच्छेद कक्षा 6, 7 और 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

 

दुर्गा पूजा हिन्दुओं के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है। इन दिनो दुर्गा मां के नौ रूपों की पूजा विशेष विधि-विधान से की जाती है। जिसे नवरात्रि भी कहते है। दसवाँ दिन विजयादशमी या दशहरा होता है।

दुर्गा पूजा उत्सव के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से होती है। फिर दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथा दिन मां कुष्मांडा, पांचवें दिन मां स्कंदमाता, छठे दिन मां कात्यायनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें (अष्टमी) दिन महागौरी और नौवें (नवमी) दिन मां सिद्धिदात्री की की पूजा की जाती है। उत्सव के आखिरी के तीन दिन सप्तमी, अष्टमी व नवमी को ये पूजा हर जगह बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। अष्टमी और महानवमी पर नौ कन्याओं को दुर्गा माता के रूप में पूजा जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर, उसके साथ नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। इसी उपलक्ष्य में दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाया जाता है। 

दुर्गा पूजा बंगाल में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है क्योंकि यह बंगालियों का प्रमुख त्योहार होता है। इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों और मोहल्लों में भव्य पंडाल बनाए जाते है। उसमें देवी मां की महिषासुर का वध करते वाली प्रतिमा रखी जाती है। और लोग दर्शन करके आशीर्वाद प्राप्त करते है और अपने जीवन में सुख शांति की कामना करते है। विजयादशमी के दिन मूर्तियों को जल में प्रवाहित करके उत्सव का समापन किया जाता है।

दुर्गा पूजा पर अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11 और 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

 

दुर्गा पूजा हिन्दू धर्म का एक बहुत ही पवित्र त्यौहार है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं है। ऐसा माना जाता है कि एक बार महिषासुर नामक असुर भगवान ब्रह्मा से वरदान पाकर बहुत शक्तिशाली हो गया था। वह स्वर्ग लोक में देवताओं को परेशान करने के साथ-साथ समस्त संसार में तबाही मचाने लगा था। तब देवताओं ने महिषासुर के विनाश के लिए देवी दुर्गा का आह्वान किया जिसे शक्ति और पार्वती के नाम से भी जाना जाता है। देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर, उसके साथ नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया | इसी उपलक्ष्य में दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाया जाता है। 

रामायण के अनुसार, प्रभु श्रीराम जब रावण का वध करने जा रहे थे तब उन्होंने माँ दुर्गा से शक्ति प्राप्त के लिए उनकी पूजा अर्चना की थी और आशीर्वाद प्राप्त किया था और तब जाकर दसवें दिन रावण का वध किया। तब से लेकर आजतक दशमी को दशहरा के रूप में बहुत ही धूमधाम से मनाते है।

दुर्गा पूजा हिंदुओं में नवरात्रि के नाम से प्रख्यात है। और इसे भारत में हर जगह मनाया जाता है पर खासतौर भारत के पूर्वी राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, त्रिपुरा में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि की शुरुआत आश्विन शुक्ल पक्ष में कलश स्थापना के साथ होती है।

दुर्गा पूजा के अंतिम चार दिन, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी का विशेष महत्व होता है। सप्तमी के दिन, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ देवी दुर्गा के पट आम भक्तों के लिए खोली जाती है। कई भक्त नौ दिनों का उपवास रखते हैं और देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की कामना करते हैं।

इस अवसर पर बड़े-बड़े पंडाल बनाये जाते है और गीत, संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम, मेले और रामलीला इत्यादि जैसी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है और फिर दशमी के दिन रावण दहन और माँ दुर्गा के मुर्तियों को पानी में विसर्जित किया जाता है। इसी के साथ इस पवित्र पर्व का समापन हो जाता है।