Hindi Essay Writing – टेलीविजन (Television)
टेलीविजनपर निबंध में हम टेलीविजन का अर्थ टेलीविजन का इतिहास, टीवी का आविष्कार, भारत में टेलीविजन, टीवी के लाभ तथा हानि के बारे में जानेगे |
- प्रस्तावना
- टेलीविजन का इतिहास
- टीवी का आविष्कार
- प्रथम इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन
- भारत में टेलीविजन
- टेलीविजन का अर्थ
- संचार का माध्यम – टीवी
- टीवी दिवस
- टीवी के लाभ
- टीवी से हानि
- उपसंहार
प्रस्तावना –
टीवी, यह मात्र मनोरंजन का साधन नहीं , ज्ञान का पिटारा भी है। जब नेटफ्लिक्स ,अमेजॉन प्राइम, यूट्यूब जैसे संसाधन नहीं थे तब घर बैठे लोगों के मनोरंजन का एकमात्र साधन था – टीवी। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि टीवी आज हमारे परिवार का एक सदस्य बन गया है, जो सबकी पहुंच में भी है और सब का पसंदीदा भी। आज बमुश्किल ऐसा कोई घर होगा, जहां टीवी ना हो । टीवी ने आज निम्न वर्ग से लेकर उच्च वर्ग तक हर घर में अपनी एक खास जगह बनाई है। कई घरों में तो सुबह की शुरुआत ही टीवी पर भजन सुनने से होती है, जबकि कुछ लोग देर रात तक टीवी पर डरावनी फिल्में देखना पसंद करते हैं। छोटा हो या बड़ा, बूढ़ा हो या बच्चा , टीवी सबका पसंदीदा हैं। टीवी कभी आपको बोर नहीं होने देता, वह हमेशा हमारे मनोरंजन के लिए तैयार है, चाहे दिन हो या रात, टीवी 24 घंटे आपके मनोरंजन और ज्ञानवर्धन के लिए हाज़िर हैं।
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टेलीविजन का इतिहास
छोटा पर्दा टीवी यानी टेलीविजन हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है और इसके आविष्कार के पीछे की कहानी बहुत लंबी और रोमांचक है।
टेलीविजन के आविष्कार का श्रेय जॉनी लोगी बेयर्ड नाम के वैज्ञानिक को जाता है । जिन्होंने साल 1924 में पहली बार टीवी के निर्माण करके इतिहास रच दिया था | जॉनी लोगी बेयर्ड को टीवी का पितामह भी कहा जाता हैं |
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टीवी का आविष्कार
- जॉनी लोगी बेयर्ड ने टेलीविजन का पहला प्रदर्शन बैकलिट के बजाय परावर्तित प्रकाश द्वारा 30 -लाइन छवियों का था।
- बेयर्ड, वैज्ञानिक निप्को से प्रेरित थे। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक डिस्क टेक्नोलॉजी पर आधारित प्रयोगों में सफलता हासिल की थी।
- 1925 में बेयर्ड ने पहली चलती हुई छवि विकसित की, जो टेलीविजन पर एक मानवीय चेहरे की छवि थी।
- 1926 में उन्होंने लंदन में रॉयल इंस्टीट्यूशन में इसका प्रदर्शन किया । बेयर्ड को सफलता तब मिली जब 1928 में उनकी चलती-फिरती तस्वीर को अटलांटिक में प्रसारित किया गया ।
- 1930 से पहले , बेयर्ड ने टेलीविजन में कई वर्जनों का प्रदर्शन किया। जैसे; 1928 में रंगीन टेलीविजन , इन्फ्रारेड लाइट द्वारा स्टीरियोस्कोपिक टेलीविजन के साथ।
- 1929 में बीबीसी द्वारा टीवी प्रसारण शुरू किया गया था । पहला प्रसारण बेयर्ड के 30- लाइन टेलीविजन पर किया गया था।
- 1930 में पहली ध्वनि, साथ ही टेलीविजन की तस्वीर प्रसारित की गई।
- मार्कोनी-ईएमआई का इलेक्ट्रॉनिक टीवी 405 – लाइनों वाला दुनिया का पहला उच्च-रिज़ॉल्यूशन सिस्टम था ।
- बीबीसी ने 1936 में बेयर्ड की तकनीक के स्थान पर इस तकनीक का इस्तेमाल किया । इसलिए चूंकि यह इलेक्ट्रॉनिक तकनीक अधिक कुशल थी, इसने बेयर्ड की यांत्रिक तकनीक का स्थान ले लिया। मैकेनिकल टेलीविजन की विफलता के पीछे मुख्य कारण इसकी अस्पष्ट या बहुत खराब तस्वीरें और साथ ही एक छोटा स्क्रीन था जो केवल 30-60 लाइनों का था।
यांत्रिक टेलीविजन में, एक चित्र बनाने के लिए, एक मोटर का उपयोग धातु डिस्क को प्रकाश देने के लिए धातु डिस्क के पीछे एक नियॉन ट्यूब के साथ घुमाने के लिए किया जाता है। इसलिए इसकी अस्पष्ट या खराब तस्वीर की गुणवत्ता ने इस तकनीक को असफल बनाया।
- टीवी आखिर काम कैसे करता है ? – टीवी या दूरदर्शन, रेडियो के सिद्धांत पर काम करता है | जिस प्रकार रेडियो के प्रसारण में स्पीकर, स्टूडियो में रिकॉर्डिंग करता है, उसकी आवाज से हवा में तरंगे होती है, जो माइक्रोफोन से इलेक्ट्रिक तरंगों में बदल जाती हैं और ट्रांसमीटर तक पहुंच जाती है, जो इन्हें रेडियो तरंगों में बदल देता है और टीवी इन्हीं तरंगों को पकड़ लेता है |
प्रथम इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन
दुनिया के पहले इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन का आविष्कार फिलो टेलर फ़ार्नस्वर्थ ने किया था। इन्होंने 7 सितंबर 1927 को सैन फ्रांसिस्को में पहला इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन प्रदर्शित किया था। फिलो टेलर फ़ार्नस्वर्थ ने 21 साल की कम उम्र में इलेक्ट्रॉनिक टेलीविज़न का विकास करने में सफलता हासिल की।
एक इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन अपने कैथोड-रे या कैमरा ट्यूब के साथ-साथ अपनी तस्वीर की बेहतर गुणवत्ता के कारण प्रमुख प्रणाली के रूप में उभरा था। इस इलेक्ट्रॉनिक टेलीविज़न की उन्नति ने यांत्रिक टेलीविज़न के अंत की शुरुआत को चिह्नित किया। साथ ही वर्ष 1939 में संयुक्त राज्य अमेरिका में इसके अंतिम प्रसारण समाप्त हुए।
1950 के दशक में अमेरिकन कंपनियों CBS और RCA ने कलर टेलीविज़न कार्यक्रमों की शुरुआत की | फिर धीरे-धीरे कई बड़ी कंपनियों सोनी, सैमसंग ने कलर टेलीविज़न बनाना शुरू कर दिया | तो इस प्रकार देखा जाए तो टेलीविजन प्रौद्योगिकी में तेजी से विकास हुआ है – सबसे पहले, ब्लैक एंड व्हाइट टेलीविज़न का आविष्कार, रंगीन टेलीविज़न, फिर केबल टेलीविज़न, सैटेलाइट टेलीविज़न, इंटरनेट टेलीविज़न, डिजिटल टेलीविज़न, स्मार्ट टेलीविज़न, 3D टेलीविज़न, और भी बहुत कुछ भविष्य में आने वाला है। टेलीविजन बहुत ही तेजी से मनोरंजन के साथ-साथ जनसंचार के लिए भी एक लोकप्रिय साधन बन गया है। अब यह हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है क्योंकि अब हम इसके बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते।
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भारत में टेलीविजन
- भारत में टेलीविजन की शुरुआत यूनेस्को की एक शैक्षणिक परियोजना के तहत 15 सितंबर 1959 के तहत हुई थी। इसका मकसद टीवी के जरिए शिक्षा और सामुदायिक विकास को प्रोत्साहित करना था ।
- इसके लिए दिल्ली के गांवों में 2 दो टीवी सेट लगाए गए थे, इसमें हफ्ते में दो बार 1 घंटे के लिए शैक्षणिक कार्यक्रम दिखाए जाते थे।
- साल 1965 के बाद भारत में टीवी सेवा का प्रारंभ हुआ था ।
- 1976 तक टीवी सेवा, आकाशवाणी का हिस्सा थी।
- 1 अप्रैल 1976 में दूरदर्शन की स्थापना हुई । उस समय भारत में इंदिरा गांधी की सरकार थी। इंदिरा गांधी, दूरदर्शन के महत्व को समझती थी। उन्होंने पी सी जोशी के नेतृत्व में एक समिति बनाई और दूरदर्शन के विकास के लिए कार्यक्रम सुनिश्चित किए। पीसी जोशी का कथन था
– “हमारे जैसे समाज में जहां पुराने मूल्य टूट गए हैं और नए ना बन रहे हो वहां दूरदर्शन बड़ी भूमिका निभाते हुए जन तंत्र को मजबूत बना सकता है ।”
इस समिति के तहत दूरदर्शन के निम्नलिखित उद्देश्य निर्धारित किए गए थे –
- सामाजिक परिवर्तन लाना
- सामाजिक चेतना का विकास करना
- राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ाना
- सामाजिक कल्याण को प्रोत्साहन देना
- कृषि के विकास के लिए जागरूकता लाना
- पर्यावरण संरक्षण का महत्व बताना
- खेल, संस्कृति, सांस्कृतिक धरोहर को प्रोत्साहन।
टेलीविजन का अर्थ
टेलीविजन अर्थात टीवी इसे हम छोटा पर्दा भी कह सकते हैं । यह दो शब्दों से मिलकर बना है – टेली (Tele) + विजन (Vision) = टेली का अर्थ है दूर से और विजन अर्थात दृश्य । तो इस प्रकार दूर की वस्तुओं के चित्र या दृश्य दिखाने वाले इस बक्से का नाम पड़ा टेलीविजन । अपने शुरुआती दौर में टेलीविजन काफी बड़े साइज का होता था। परंतु समय के साथ-साथ, जैसे-जैसे आविष्कार होते गए, इसके आकार में अन्तर आता गया और आज पतली स्क्रीन के रूप में हम एलसीडी और एलईडी में हाई डेफिनेशन क्वालिटी के चित्रों और शानदार साउंड का आनन्द ले रहे हैं।
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संचार का माध्यम – टीवी
टेलीविजन, आज संचार के सशक्त माध्यमों में से एक हैं। संचार शब्द की उत्पत्ति चर धातु से हुई है जिसका अर्थ है चलना या एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचना। दो से अधिक व्यक्तियों के बीच सूचना, विचारों और भावनाओं का आदान-प्रदान । लेकिन संचार में सिर्फ दो या अधिक व्यक्तियों को नहीं, हजारों-लाखों लोगों के जनसंचार को शामिल किया जाता है। इस प्रकार सूचना, विचारों और भावनाओं को लिखित, मौखिक तथा दृश्य, श्रव्य माध्यमों के जरिए सफलतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाना ही संचार हैं। इस प्रक्रिया को अंजाम देने में मदद करने वाले तरीके संचार माध्यम कहलाते हैं और टीवी इन्हीं संचार माध्यमों में से एक है। इसके अतिरिक्त रेडियो, मोबाइल, टेलीफोन, फैक्स आदि संचार के अन्य माध्यम है।
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टीवी दिवस
21 नवम्बर, दरअसल इसी दिन वर्ष 1996 में संयुक्त राष्ट्र (यूनाइटेड नेशन) ने वर्ल्ड टेलीविज़न फोरम का आयोजन किया था | उसमें दुनिया भर की टीवी इंडस्ट्री के प्रमुख लोग शामिल हुए थे। सब ने वैश्विक राजनीति और डिसिजन मेकिंग में टीवी के रोल पर चर्चा की। इवेंट में माना गया कि समाज में टीवी का रोल दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली ने 21 नवंबर को वर्ल्ड टेलीविज़न डे घोषित कर दिया था। यह फैसला वैश्विक सहयोग को बढ़ाने में टेलीविजन के योगदान को देखते हुए लिया गया था। तब से हर वर्ष 21 नवंबर को विश्व टीवी दिवस मनाया जाता हैं |
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टीवी के लाभ
- मनोरंजन के क्षेत्र में –
टेलीविजन पर आप घर बैठे कई सारे मनोरंजक कार्यक्रम देख सकते हैं | टीवी पर हर आयु वर्ग के हिसाब से चैनल आते हैं, जिनमें धारावाहिक कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता हैं | चाहे छोटे बच्चों के लिए कार्टून हो , बड़ो के लिए न्यूज चैनल, या महिलाओ के लिए सास-बहू वाले सीरियल, टीवी सबका ध्यान रखता हैं, कि कोई बोर ना हो |
- शिक्षा के क्षेत्र में –
टेलीविजन सिर्फ मनोरंजन का साधन ही नहीं अपितु शिक्षा का भी सशक्त माध्यम है | इसका उदाहरण हमने कोरोना काल में भी देखा था | जब स्कूल , कॉलेज बंद हो गए थे | लॉकडाउन लग गया था, तब दूरदर्शन पर शैक्षणिक कार्यक्रम चलाए गये थे, जिसके माध्यम से गाँवो में रहने वाले बच्चों को घर बैठे शिक्षा उपलब्ध कराई जा सके |
भारत में इसकी शुरुआत करने का बुनियादी उद्देश्य यही था कि समाज में फैली बुराइयों को दूर किया जा सके, सामाजिक परिवर्तन लाया जा सके | आम नागरिकों में वैज्ञानिक चेतना का विकास हो, सामाजिक कुरीतियों रूढ़िवादी मान्यताओं के प्रति लोगों की सोच को बदला जा सके | इसका उदाहरण प्रत्यक्ष है कई ऐसे टेलीविजन पर कई ऐसे धारावाहिक प्रकाशित किए गए जिन्होंने समाज की बुराइयों को जनता प्रत्यक्ष रूप से जनता के सामने रखा | इसके अतिरिक्त डिस्कवरी, नेशनल जियोग्राफिक चैनल के माध्यम से लोगो को वैज्ञानिक ज्ञान में वृद्धि होती हैं |
- सामाजिक बदलाव के क्षेत्र में –
जैसे बालिका वधू इस धारावाहिक में बाल विवाह जैसी दुष्कृत्य पर करारा प्रहार किया | जिससे लोगों में जागरूकता आये कि बाल विवाह दंडनीय अपराध है और किस प्रकार बाल विवाह से बच्चों का बचपन नष्ट किया जा रहा है |
इसके अलावा ना आना इस देश मेरी लाडो इस धारावाहिक के माध्यम से बच्चियों को जन्म से पूर्व मार देने की घटिया सोच को जनता के दर्शाया गया | जिससे लोगो को इस अपराध की संगीनता का आभास हो |
हाल ही में चलाए जा रहे क्राइम पेट्रोल, सावधान इंडिया जैसे वास्तविक कहानियों पर आधारित
कार्यक्रमों द्वारा आम नागरिकों को समाज में होने वाले गैरकानूनी और घातक जुर्म के प्रति सावधान किया जा रहा है।
न्यूज चैनलों के माध्यम से दुनिया के कोने-कोने की ख़बरें हम तक पल भर में पहुँच जाती हैं और कई न्यूज चैनलों पर दिखाए जाने वाले वायरल टेस्ट से सोशल मीडिया पर प्रसारित गलत ख़बरों की पुष्टि हो जाती हैं |
- करियर के नए अवसर –
टीवी पर प्रसारित कई रियलिटी शोजस के माध्यम से छोटे बच्चों से लेकर युवाओं तक को अपना टैलेंट दिखाने का मौका मिल रहा है, फिर चाहे वह गाना गाना हो या डांस करना हो या एक्टिंग, कुकिंग | टीवी ने सभी के लिए दरवाजे खोल दिये है। और लोगो को करियर बनाने और प्रसिध्दी पाने के नए अवसर उपलब्ध कराये हैं | जैसे – इण्डियन आइडल, मास्टर शेफ इंडिया, डांस इंडिया डांस, सारेगामापा आदि |
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टीवी से हानि
- स्वास्थ्य के लिए हानिकारक –
लगातार टीवी देखने से स्वास्थ्य से सम्बंधित कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं | जैसे एक ही जगह बैठे रहने से शारीरिक क्षमता प्रभावित होती हैं और लम्बे समय तक पास से टीवी देखते से आँखों में चश्मे लगवाने की नौबत भी आ जाती हैं और आई ड्राईनेस की समस्या बढ़ती हैं |
कई लोग जितना ज्यादा टीवी देखते हैं, बैठे-बैठे उतना ही ज्यादा खाते हैं जिससे मोटापे की समस्या बढ़ रही हैं |
देर रात तक टीवी देखने से नींद पर असर होता हैं | कई बार रात को देर से सोने से सुबह देर से नींद खुलती हैं और इससे चिढ़चिढ़ापन उत्पन्न होता हैं, क्रोध आता है और कई काम बिगड़ जाते हैं |
- समय की बर्बादी –
टीवी एक तरह से समय की बर्बादी कारण भी हैं | जिस समय में आप कोई जरूरी काम कर सकते थे, वो समय टीवी देखने में व्यतीत हो जाता हैं | जब एक बार टीवी देखने की आदत पढ़ जाती हैं तो कई बार समय का पता ही नहीं चलता और आपके दिन के कई घंटे टीवी देखने में खराब हो जाते हैं |
- टीवी की लत –
जब तक टीवी का उपयोग मनोरंजन के लिए किया जाए तब तक तो ठीक है किन्तु जैसे ही यह लत बन जाता हैं तो स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालता हैं | इससे कई लोगो में ध्यान केन्द्रित ना कर पाने की समस्या उत्पन्न होती हैं | फिर किसी कम में मन नहीं लगता हैं और मानसिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता हैं |
- बच्चों पर बुरा प्रभाव – टीवी पर प्रसारित किये जाने वाले कुछ सीरियल ऐसे होते हैं जो बच्चों को नहीं देखना चाहिए, इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता हैं और सीरियलों के बीच में कई बार भ्रामक, असंगत विज्ञापन दिखाए जाते हैं जिससे गलत संदेश फैलता हैं | विचारधारा कलुषित होती हैं |
उपसंहार –
हाल ही में हमने देखा कि कैसे एक टीवी न्यूज चैनल पर दिखाए गये डिबेट शो से पूरे देश में अलगाव उत्पन्न हो गया , लोगो की धार्मिक भावनाएं आहात हुए और जगह जगह विरोध प्रदर्शन हुए | केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने निजी सेटेलाइट टीवी चैनल को परामर्श जारी कर एसी सामग्री प्रसारित करने को लेकर सतर्क किया जो हिंसा भड़का सकती हैं | मंत्रालय ने राष्ट्र विरोधी प्रव्रत्ति को बढ़ावा देने वाली और देश की अखंडता को प्रभावित करने वाली सामग्री के प्रसारण के सम्बन्ध में सतर्क रहने की सलाह दी हैं |
वस्तुतः भारत एक ऐसा लोकतान्त्रिक राष्ट्र है जहाँ टीवी पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रम के विषय में सरकार को पूर्ण अधिकार प्राप्त हैं | केबल टेलीविज़न नेटवर्क अधिनियम 1995 के तहत टीवी प्रसारण के लिए कुछ नियम निर्धारित हैं, जिससे किसी भी जाति, धर्म और संप्रदाय की भावनाओं को ठेस ना पहुँचे |
हाल ही में केबल टेलीविज़न नेटवर्क(संशोधन) अधिनियम 2021 जारी किया गया है | जिसके तहत टीवी पर दिखाए जा रहे किसी भी कार्यक्रम/ विज्ञापन संहिताओ के उल्लंघन से सम्बंधित नागरिकों की शिकायतों को दूर करने के लिए एक समिति गठित की गई हैं | इन नियमों को जल्द ही ओटीटी पर भी लागू किया जाएगा | यह अधिनियम ‘केबल टेलीविज़न के बेतरतीब विकास’ को नियंत्रित करेगा | क्यूंकि कई बार टीवी पर सीरियलों के बीच में भ्रामक, गंदे विज्ञापन दिखाए जाते हैं और कई ऐसी फिल्मों का प्रसारण होता हैं जो छोटे बच्चों को नहीं देखना चाहिए अतः इस अधिनियम से टीवी पर लगाम लगेगी | वैसे बेशक टीवी, मनोरंजन का एक लोकप्रिय माध्यम है | पर इसके साथ ही टीवी की एक जिम्मेदारी भी बनती हैं समाज को जागरूक करने की, सतर्क करने की और शिक्षित करने की | अतः इस पर किसी भी प्रकार की ऐसी सामग्री का प्रसारण ना हो जिससे समाज में अराजकता फैले |
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