रचनात्मक लेखन क्या है ?, रचनात्मक लेख के विषय, रचनात्मक लेखन सुधारने के सुझाव (टिप्स) और उदाहरण  | What is Rachnatmak Lekhan?, Types of Rachnatmak Lekh, Tips to improve

 

रचनात्मक लेखन (Rachnatmak Lekhan) – इस लेख में हम रचनात्मक-लेखन के बारे में जानेंगे। रचनात्मक-लेखन पर आधारित कक्षा 11 और कक्षा 12 की परीक्षा में एक प्रश्न पूछा जाता है। यह प्रश्न 6 अंकों के लिए पूछा जाता है और इसमें आपको तीन अप्रत्याशित विषय (अर्थात ऐसे विषय जिसकी आशा न हो या जो अपेक्षित न हो) दिए जाते हैं जिनमें से आपको एक विषय चुन कर लगभग 120 शब्दों में लेख लिखना होता है। इस प्रकार के विषयों पर अपने विचार प्रकट करने के लिए निरंतर अभ्यास की आवश्यकता रहती है। अतः इस लेख में हम उदाहरण सहित कुछ लेख ले कर आए हैं जिससे आपको इस विषय को हल करने में सहायता मिलेगी।

 

रचनात्मक-लेखन किसे कहते हैं ?

 

रचनात्मक-लेखन में दिए गए लेखों पर आप तभी लेख लिख सकते हैं जब आपको रचनात्मक-लेखन के विषय में जानकारी हो। तो सबसे पहले आपको रचनात्मक-लेखन के बारे में पता होना चाहिए।

रचनात्मक-लेखन से अभिप्राय किसी विषय पर आधारित अपने विचारों को प्रकट करना है। अथवा कहा जा सकता है कि किसी विषय पर वैचारिक और भावनात्मक रूप से रचना करना एवं अपने मौलिक विचारों को सभी के समक्ष रखना रचनात्मक लेखन कहलाता है।

 

 

रचनात्मक लेख लिखते समय ध्यान देने योग्य बातें (Tips for writing Rachnatmak Lekh)

 

किसी भी घटना या परिस्थिति को लेख की शक्ल देना, उसे शब्दों के सहारे पन्नों पर उकेरनाबहुत से लोगों के लिए यह मुश्किल काम है। लेखन का आशय भाषा के सहारे किसी चीज़ पर विचार करने और उस विचार को व्याकरणिक शुद्धता के साथ सुसंगठित रूप में अभिव्यक्त करने से है। यह सत्य है कि लिखने का कोई फॉर्मूला आज तक दुनिया में नहीं बना। अगर फॉर्मूला होता, तो कंप्यूटर हमारे मुकाबले बेहतर लेखक साबित हो सकता था। कुछ ऐसे सुझाव दिए जा सकते हैं, जो अचानक सामने आए विषय पर अपने विचार प्रकट करने में मददगार साबित हो सकते हैं। जैसे –

  1. सबसे पहले, विषय के शीर्षक को अच्छी प्रकार से समझ लेना चाहिए।
  2. शुद्ध, स्पष्ट तथा सरलता शब्दों वाली भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
  3. इस प्रकार के लेख में केवल दिए गए विषय पर ही ध्यान देना चाहिए क्योंकि यह एक सक्षिप्त शैली है।
  4. इधर-उधर की बातें लिखना उचित नहीं होता। एक भी वाक्य अनावश्यक नहीं होना चाहिए क्योंकि इसमें शब्द सीमा होती है।
  5. प्रत्येक वाक्य एक-दूसरे से परस्पर सम्बंधित होने चाहिए।
  6. प्रथम एवं अंतिम वाक्य प्रभावशाली होना चाहिए।
  7. असल में ऐसे विषय के साहचर्य से जो भी सार्थक और सुसंगत विचार हमारे मन में आते हैं, उन्हें हम यहाँ व्यक्त कर सकते हैं।
  8. अपेक्षाकृत स्पष्ट फोकस वाले विषय मिलने पर (मसलन, टी.वी. धारावाहिकों में स्त्री) इस विचारप्रवाह को थोड़ा नियंत्रित रखना पड़ता है। इन पर लिखते हुए विषय में व्यक्त वस्तुस्थिति की हम उपेक्षा नहीं कर सकते।
  9. किसी भी विषय पर एक ही व्यक्ति के ज़ेहन में कई तरीकों से सोचने की प्रवृत्ति होती है। ऐसी स्थिति अगर आपके साथ हो, तो सबसे पहले दोतीन मिनट ठहर कर यह तय कर लें कि उनमें से किस कोण से उभरनेवाले विचारों को आप थोड़ा विस्तार दे सकते हैं। यह तय कर लेने के बाद एक आकर्षकसी शुरुआत पर विचार करें।
  10. शुरुआत से आगे बात कैसे सिलसिलेवार बढ़ेगी, इसकी एक रूपरेखा ज़ेहन में होनी चाहिए। आपकी कही गई बातें न सिर्फ आपस में जुड़ी हुई हों, बल्कि उनमें तालमेल भी हो। अगर आपकी दो बातें आपस में ही एकदूसरे का खंडन करती हों, तो यह लेखन का ही नहीं, किसी भी तरह की अभिव्यक्ति का एक अक्षम्य दोष है।

 

 

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अप्रत्याशित विषयों पर लेखन के विषय – Types of Rachnatmak Lekh

 

ऐसे लेखन के लिए किसी भी तरह के विषय दिए जा सकते हैं, उनकी संख्या अपरिमित है। जैसे आपके सामने की दीवार, उस दीवार पर टंगी घड़ी, उस दीवार में बाहर की ओर खुलता झरोखा इत्यादि। ऐसे विषय भी हो सकते हैं, जिनमें इनके मुकाबले खुलापन थोड़ा कम हो और ‘फोकस अधिक स्पष्ट हो। जैसे टी.वी. धारावाहिकों में स्त्री, बहुत ज़रूरी है शिक्षा, इत्यादि।

अप्रत्याशित विषय कुछ भी हो सकते हैं अतः ये अलगअलग प्रकृति के हो सकते हैं। अप्रत्याशित विषयों की माँगों के जवाब में हम जो कुछ लिखेंगे, वह कभी निबंध बन पड़ेगा, कभी संस्मरण, कभी रेखाचित्र की शक्ल लेगा, तो कभी यात्रावृत्तांत की। इसीलिए हम उसे एक सामान्य नाम देंगेलेख, ताकि ऐसा न लगे कि किसी विधा विशेष के भीतर ही लेखन करने का दबाव बन रहा है।

 

Solved Examples of Rachnatmak Lekh From SQP And PYP

नीचे दिए गए उदाहरण रचनात्मक लेख कक्ष 12 के प्रश्न पत्रों और सैंपल पपेरों से लिए गए हैं 

 

1 –  हवाई जाहज के बिना दुनिया (CBSE 2024-25)

हवाई जहाज का आविष्कार मनुष्य के सबसे बड़े अविष्कारों में से एक है। हवाई जहाज से हम एक स्थान से दूसरे स्थान पर तेजी से और सरलता से पहुँच जाते है। आप कल्पना करें कि अगर हवाई जहाज न होता, तो हमारी दुनिया कैसी होती? हवाई जहाज के द्वारा आज हम दुनिया की अलग-अलग जगहों को जानते हैं,  हवाई जहाज के बिना यह संभव नहीं था। हम अपने जीवन में सीमित होते। आज के मुकाबले यात्रा की गति इतनी कम होती कि एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचने में कई दिन, कई महीने या साल भी लग सकते थे। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व् अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में बड़ी बाधाएँ आती। शिक्षा और ज्ञान का प्रसार भी बहुत धीमा होता। पर्यटन पर भी इसका बहुत बड़ा असर पड़ता। लोग अपने ही देश की संस्कृति व् ऐतिहासिक स्थानों या पड़ोसी देशों की संस्कृति व् ऐतिहासिक स्थानों तक ही सीमित रह जाते। वे विश्व की विभिन्न संस्कृति को न जान पाते।  ऐसा कहना बिलकुल अनुचित होगा कि एक धीमे और सीमित जीवन का कोई अर्थ नहीं हो सकता। यदि यह दुनिया बिना हवाई जहाज के होती तो भी लोग अपने स्थानीय जीवन और सांस्कृतिक परम्पराओं को अधिक महत्व दे सकते थे। हवाई जहाज के बिना निश्चित रूप से दुनिया अलग होती, लेकिन उसमें भी अपनी अलग विशेषताएँ और उपलब्धियाँ होती।

 

2 – परीक्षा तनाव और उसे रोकने के उपाय ( CBSE 2023-24)

छात्रों से उनके अभिभावक व् शिक्षक बेहतर परिणाम की उम्मीद रखते है। इसी कारण कई बार विद्यार्थी मानसिक तनाव का अनुभव करने लगते हैं। यह मानसिक तनाव विद्यार्थियों पर नकारात्मक प्रभाव डाल देता है। अक्सर विद्यार्थी अपने परिणाम की तुलना अन्यों से करते हैं और जब वे खुद के परिणामों को दूसरों से खराब पाते हैं, तो वे तनाव से ग्रसित होते चले जाते हैं। इसलिए विद्यार्थियों को परीक्षा से पहले व परीक्षा के दौरान अपने आप को किसी भी प्रकार के तनाव से दूर रखना चाहिए। क्योंकि तनाव की वजह से कई बार विद्यार्थी आत्मविश्वास खो देते हैं। परीक्षा तनाव को दूर करने के लिए विद्यार्थियों को चाहिए कि वे सकारात्मक सोच रखें और खुद की तैयारियों पर भरोसा रखें। विद्यार्थियों को हर विषय के लिए एक निश्चित समय निर्धारित करना चाहिए और नियमित रूप से पढ़ाई करते रहनी चाहिए। व्यायाम भी मानसिक तनाव को दूर करने में सहायक होता है। अतः नियमित रूप से सिर्फ 10-15 मिनट का व्यायाम भी विद्यार्थियों की मदद कर सकता है। लगातार पढ़ाई करने से मानसिक थकावट होती है। इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ आराम भी जरूरी है। संतुलित और पौष्टिक आहार जैसे – फल, हरी सब्जियां, अंकुरित अनाज और भरपूर मात्रा में पानी सेहत और तनाव को कम करने के लिए आवश्यक है। अच्छी नींद मानसिक तनाव को कभी हद तक दूर करने में सक्षम है। अतः विद्यार्थियों को कम से कम 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। विद्यार्थियों के तनाव का सबसे महत्वपूर्ण कारण होता है – परिणाम की चिंता। यह सच है कि परीक्षा में अच्छे अंक पाना महत्वपूर्ण है। परन्तु परिणाम को लेकर ज्यादा चिंता करना विद्यार्थियों को तनावग्रस्त बना सकता है। अतः विद्यार्थियों को अपनी मेहनत पर भरोसा करके परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए।

 

3 – मसूरी के रास्ते बस का खराब हो जाना (CBSE 2020-21)

पिछले महीने हमने अपने पूरे  परिवार के साथ मसूरी जाने का कार्यक्रम बनाया था। हम सभी निर्धारित समय पर बस स्टैंड पर पहुँचे और टिकट लेकर बस में बैठ गए। सभी सफर का आनंद ले रहे थे। मौसम भी बहुत सुहावना हो रहा था। परिवार के साथ सफ़र करना बहुत रोमांचक होता है। बाहर के दृश्यों में एक तरफ ऊँचे-ऊँचे पहाड़ थे, तो दूसरी तरफ गहरी खाइयाँ थी। हम सभी अपने सफ़र का हँसते-गाते आनंद ले रहे थे। अचानक बस में जोर का ब्रेक लगा और गाड़ी रुक गई। हमें लगा कि ड्राइवर ने किसी कारण अचानक गाड़ी रोक दी होगी, परन्तु पूछने पर ड्राइवर ने बताया कि बस का एक टायर पंक्चर हो गया है। ढ़लान होने के कारण बस पीछे ही सरकती जा रही थी। हम सभी की साँसे तो मानो रुक सी गई थीं। बड़े-बुजुर्ग भगवान् से प्रार्थना करने लग गए थे और बच्चे घबरा कर रोने लगे थे। किन्तु बस के कंडक्टर ने एक उपाय सुझाया और हम सभी युवा धीरे-धीरे करके बस से नीचे उतरे। फिर हम सभी ने पीछे की ओर जाकर बस को रोकने के लिए कुछ पत्थर टायर के पास लगाकर बस को रोका। फिर धीरे-धीरे हमने सभी परिवार के सदस्यों को नीचे उतारा और ड्राइवर ने बस का टायर बदला। एक घंटे की मेहनत के बाद जब बस का टायर बदल गया तो सबके चेहरे पर थोड़ी ख़ुशी की चमक नजर आ रही थी। उसके बाद जब सफ़र शुरू हुआ तो सभी के मन में एक अनजाना सा डर बैठ गया था जो मसूरी पहुँच कर ही थोड़ा दूर हुआ।

 

4 – नदी किनारे बरसात में घिर जाना – (CBSE 2020-21)

मैं अपने परिवार के साथ पहाड़ों में घूमने गई थी। हमने एक नदी के किनारे अपना टेंट लगाया था। एक रात खाना खाकर हमने ठण्ड से बचने के लिए आग जलाई। बड़े-बुजुर्ग तो आग सेकने लगे और हम बच्चे नदी के किनारे टहलने निकल गए। आसमान में चमकते तारे और चन्द्रमा की किरणें नदी के सौन्दर्य में चार चाँद लगा रही थी। हम सब चाँदनी रात का आनन्द लेते हुए काफी दूर निकल गए थे। जैसे ही हमें एहसास हुआ कि हम काफी दूर आ गए हैं, तो हम वापिस टेंट की ओर जाने लगे। तभी हमें लगा कि अचानक ही आसमान में बादल घिर आये थे। उन्हें देखकर हम जल्दी-जल्दी टेंट की ओर बड़ने लगे परन्तु अचानक ही वर्षा की मोटी-मोटी बूँदें गिरने लगी। हम बारिश से बचने का प्रयास करने लगे। परन्तु बारिश के साथ-साथ तेज हवा भी चलने लगी थी। हमें ऐसा लग रहा था जैसे कि प्रकृति हमारे साथ खिलवाड़ कर रही थी। भीगते-भीगते जैसे-तैसे हम टेंट में  पहुँचे। सभी बड़े लोग हम-सभी के लिए चिंतित थे क्योंकि हम बुरी तरह भीग गए थे। बारिश के कारण हमारी आग भी बुझ चुकी थी। पर हमें देखकर परिवारजन निश्चिन्त हो गए। हमने अपने-अपने कपड़े बदले परन्तु हम सभी को बारिश में भीगने के कारण तेज जुकाम हो गया था। घर लौटने पर धीरे-धीरे हमारा स्वास्थ्य सही हुआ पर उस नदी किनारे बरसात को हम जिंदगी भर नहीं भूल सकते।

 

5 – लोकतंत्र में मिडिया की भूमिका (CBSE 2022-23)

लोकतंत्र को पूरे विश्व में स्थापित करने के लिए मीडिया की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लोकतांत्रिक देशों में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के कामकाज पर नजर रखने के लिए मीडिया को “चौथे स्तंभ के रूप में जाना जाता है। मीडिया ने अखबार तथा रेडियो के दिनों से लेकर वर्तमान युग में टेलीविजन और सोशल मीडिया तक का एक लंबा और सफल सफर तय किया है। मीडिया की भूमिका जहाँ एक ओर लोगों को देश – दुनिया में हो रहे बदलावों व् उपलब्धियों से अवगत कराने की है, वहीं दूसरी ओर दुनिया में होने वाले अपराधों का विरोध करने के लिए भी है। जब सरकारी संस्थान भ्रष्ट और सत्तावादी हो जाते हैं, तब मीडिया लाखों नागरिकों की आवाज के साथ मिलकर आवाज उठाती है। आज भारत में एक स्वतंत्र और नियंत्रण-मुक्त प्रेस की आवश्यकता है। मीडिया समाज के विभिन्न वर्गों तक अपनी पहुँच से सरकारी नीतियों के न्याय और लाभ सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मिडिया सरकार और देश के नागरिकों के बीच एक पुल के रूप में कार्य करती है। लोग मीडिया पर विश्वास करते है क्योंकि मिडिया ही उन्हें देश में हो रहे कार्यों से अवगत करवाती है। मीडिया के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण हो जाता है कि टीआरपी चैनलों को बढ़ावा देने के लिए जो सूचनाएं प्रसारित की जा रही हैं, उनमें कोई पक्षपात या छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिंए। भारतीय मीडिया में फेक न्यूज की समस्या एक बड़ी समस्या है, जिससे लोगों को गलत सूचना प्राप्त होती है तथा बड़े पैमाने पर अफवाहों और भ्रम का प्रचार-प्रसार होता है। भारत में मीडिया को सशक्त बनाने के लिए उपाय करना समय की मांग है।

 

Rachnatmak Lekh Exercises (Questions and Answers)

 

नीचे दिए गए विषयों पे 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए – 

1 – समाज में फिल्मों की भूमिका
2 – आधुनिक युग में कंप्यूटर
3 – मानवीय मूल्य
4 – ऑनलाइन शॉपिंग का बढ़ता महत्त्व
5 – वृक्षारोपड़ की आवश्यकता 

 

उत्तर –

1 – समाज में फिल्मों की भूमिका –

आधुनिक जीवन में फिल्मों को मनोरंजन का उत्तम साधन माना जाता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि फिल्में समाज को प्रभावित करती हैं। इस दृष्टि से फ़िल्मों का सामाजिक दायित्व बनता है कि वे केवल मनोरंजन ही नहीं, बल्कि सामाजिक बुराइयों को दूर करने का भी साधन बनें। फिल्म देखकर हमें  बहुत सी चीजों का पता चलता है। फ़िल्मों के गीत भी व्यक्ति के अकेलेपन, निराशा, दुख आदि को कम करते हैं। फ़िल्मों के सकारात्मक प्रभावों के साथ ही समाज पर इसके नकारात्मक प्रभाव भी पड़ते  हैं। बच्चों पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। वे झूठ बोलना, चोरी करना, घर से भागना आदि गलत आदतें प्राय: फ़िल्मों से ही सीखते हैं। फ़िल्मों के इस रूप की तुलना प्रायः कैंसर से की जा सकती है जो धीरे-धीरे हमारे समाज को खोखला कर रहा है। अतः कहा जा सकता है कि फ़िल्में समाज को तभी नयी दिशा दे सकती हैं जब उनमें समाज की समस्याओं और हमारी ऐतिहासिक घटनाओं को सकारात्मक ढंग से दिखाया जाए। 

 

2 – आधुनिक युग में कंप्यूटर

कंप्यूटर एक ऐसा यंत्र है जो तेज गति से कम-से-कम समय में अधिक-से-अधिक काम कर सकता है। कहा जा सकता है कि कंप्यूटर आधुनिक विज्ञान की सबसे बड़ी देन है। विज्ञान के प्रसार के साथ-साथ कंप्यूटर की उपयोगिता व आवश्यकता निरंतर बढ़ती जा रही है। कंप्यूटर मानव के जीवन के हर क्षेत्र में पहुँच गया है। इसकी बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए सरकारें भी स्कूल व कॉलेज स्तर पर कंप्यूटर शिक्षा को अनिवार्य बना रही हैं। आज कंप्यूटर ने रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों, हवाई अड्डों, कारखानों, शिक्षण संस्थाओं, अस्पतालों, बैंक हर जगह अपना वर्चस्व स्थापित किया हुआ है। मौसम संबंधी घोषणाएँ कंप्यूटर की गणनाओं पर ही आधारित होती हैं। यहाँ तक कि आधुनिक समय में ज्योतिष विद्या भी कंप्यूटर-आधारित हो गई है। मेडिकल क्षेत्र में भी कंप्यूटर किसी जीवन-रक्षक कवच की तरह काम करता है। यह विभिन्न तरह के परीक्षणों का विश्लेषण करके तुरंत मरीज की स्थिति बता देता है। युद्ध में ड्रोन इत्यादि से जासूसी करवाना, सही निशाने पर बम या मिसाइल फेंकना आदि कार्य भी कंप्यूटर आसानी से कर लेता है। कंप्यूटर के इतने फ़ायदे जानकार कहा जा सकता है कि कंप्यूटर आज के युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है। क्योंकि इसके बिना आधुनिक जीवन में कोई भी कार्य संभव नहीं है। परन्तु यह भी सच है कि इतनी खूबियों के बावजूद कंप्यूटर केवल एक मशीन है। इसका अपना कोई मस्तिष्क नहीं है जो सही और गलत का आंकलन कर सके। इसका सदुपयोग या दुरुपयोग मानव पर निर्भर करता है। इससे भी बढ़कर, यह मानव मस्तिष्क का पर्याय नहीं बन सकता क्योंकि इसे मानव ने ही बनाया है।

 

3 – मानवीय मूल्य  –

किसी भी व्यक्ति के लिए मूल्यों का अत्यधिक महत्व है। क्योंकि मूल्य हमें जीवन में सही राह पर चलने में मदद करते हैं। मूल्य हमें बताते हैं कि हमें अलग-अलग परिस्थितियों में कैसे व्यवहार करना चाहिए और कैसे कार्य करना चाहिए। ईमानदारी, निष्ठा, विश्वसनीयता, करुणा, दृढ़ संकल्प और साहस जैसे अच्छे मूल्यों वाले व्यक्ति के पास निश्चित रूप से एक मजबूत चरित्र होता है। हमारी संस्कृति और समाज बहुत हद तक मूल्यों को निर्धारित करते हैं। वर्तमान में लोग अपने लिए एक अच्छी जीवन-शैली व् सुख-सुविधाओं को कमाने में व्यस्त हैं। इसी के चलते वे अक्सर मूल्यों के महत्व को अनदेखा करते हैं। जिस उम्र में बच्चों को अच्छे संस्कार दिए जाने चाहिए उन्हें इस प्रतिस्पर्धी दुनिया में लड़ना और बचना सिखाया जाता है। आज के बच्चे ही देश का भविष्य हैं। लोगों को समझना होगा है कि उन्हें बच्चों में एक अच्छे खिलाड़ी की भावना पैदा करनी होगी और उन्हें ईमानदारी, करुणा और धैर्य जैसे मूल्यों को सिखाना होगा। समाज को बेहतर बनाए रहने के लिए यह आवश्यक है कि, बहुसंख्यक लोगों के पास अच्छे मूल्य हों और वे नैतिक मानदंडों का पालन करते हों।

 

4 – ऑनलाइन शॉपिंग का बढ़ता महत्त्व – 

ऑनलाइन शॉपिंग को, डिजिटल शॉपिंग, ई-कॉमर्स, ऑनलाइन खरीदारी, इंटरनेट शॉपिंग जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है। वास्तव में यह साधारण खरीदारी की तरह ही है, केवल इसमें खरीदार, दुकानदार के पास नहीं जाता। इंटरनेट पर लोग ऑनलाइन शॉपिंग के माध्यम से रसोई का सामान, सौन्दर्य प्रसाधिका की सेवा, घर की बिजली और पानी के नल से सम्बंधित शिकायतों का घर बैठे निदान, घरेलू नौकरानियों की सेवाओं को भी विभिन्न वेब साइटों के माध्यम से ऑनलाइन व्यवस्थित किया जा सकता है। यह समय व् ईंधन दोनों को बचाता है। ऑनलाइन स्टोर पर सामान अपेक्षाकृत सस्ते होते हैं क्योंकि उनका रखरखाव खर्च लगभग ना के बराबर होता है। आवश्यकता पड़ने पर लोग मध्य रात्रि के बाद भी अपनी ज़रुरत की चीज़ें आर्डर कर सकते हैं । अगर सावधानी से काम न किया जाए तो पैसे के लेन देन में धोखाधड़ी की अधिक सम्भावना होती है। परन्तु, कुछ सावधानियाँ अपनाकर इन नुकसानों से बचा जा सकता है। जैसे – हमेशा विश्वसनीय वेबसाइटों से खरीदें। उत्पाद से सम्बंधित नीतियों को अच्छी तरह से पढ़ें। इत्यादि।

 

5 – वृक्षारोपड़ की आवश्यकता  –

प्रदूषण के लगातार बढ़ते हुए प्रभावों को देखते हुए विश्व का प्रत्येक छोटा-बड़ा राष्ट्र आज इस समस्या पर विभिन्न उपाय ढूँढ रहा है। उन उपायों में वृक्षारोपण के उपाय को सभी ने एक स्वर में स्वीकार किया है। यह एक कड़वा सच है कि पर्यावरण के अत्यधिक दूषित या प्रदूषित हो जाने की समस्या उसी दिन से प्रारम्भ हो गई, जब मानव ने निर्दय बनकर प्रकृति के वृक्षों, उनके जंगलों को अपने आर्थिक लाभों के लिए अन्धाधुन्ध काटना आरम्भ कर दिया था। प्रदूषण के अन्य अनेक कारण भी हो सकते हैं, पर सबसे प्रमुख और बड़ा कारण वनों का अभाव माना जाता है। इस अभाव की पूर्ति के लिए ही आज वृक्षारोपण की आवश्यकता सर्वोपरि है। वृक्षारोपण अनेक कारणों से आज मानव जीवन की एक प्राथमिक आवश्यकता है। वृक्ष फल और छाया तो देते ही हैं, ऊर्जा के स्रोत भी हैं। सबसे बढ़कर वृक्षारोपण इसलिए आवश्यक है कि प्रकृति के वातावरण में एक सहज स्वाभाविक सन्तुलन बना रह सके। यह सन्तुलन ही भूमि-कटाव, बहाव, अनावृष्टि या आवश्यकता से अधिक वृष्टि से मानव जाति की रक्षा कर सकता है। आज सारे विश्व का ध्यान व्यक्ति और समूह सभी स्तरों पर वृक्षारोपण के महत्त्व की ओर पूर्णतया आकर्षित हो चुका है। तभी तो आज सारे विश्व में पर्यावरण-रक्षा-वर्ष, मास, सप्ताह या दिन आदि मानाए जाते हैं। 

Rachnatmak Lekh FAQs

 

Q1. रचनात्मक लेखन को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
उत्तर – रचनात्मक लेखन को इंग्लिश में Creative Paragraph Writing कहते हैं।

Q2. क्या परीक्षा में रचनात्मक लेखन पूछा जाता है?
उत्तर – जी हां! परीक्षा में रचनात्मक लेखन पूछा जाता है।

Q3. रचनात्मक लेखन की शब्द सीमा क्या होती है ?
उतर – रचनात्मक लेखन की शब्द सीमा लगभग 120 के आसपास होती है।

Q4. परीक्षा में रचनात्मक लेख लिखने के लिए कितने विषय दिए जाते हैं?
उत्तर – परीक्षा में रचनात्मक लेख लिखने के लिए तीन विषय दिए जाते है। जिसमें से किसी एक विषय का चयन करके उत्तर देना होता है।

Q5. रचनात्मक लेखन का प्रारूप क्या है?
उत्तर – रचनात्मक लेखन का कोई निश्चित प्रारूप नहीं है। छात्र प्रश्न पत्र में दिए गए तीन विषयों में से किसी एक विषय का चयन करके अपनी जानकारी अनुसार उसपर लेख लिख सकते है। लेख को एक ही पैराग्राफ में लिखना होता है।

Q6. रचनात्मक लेख लिखते समय किन – किन बातों पर ध्यान देना चाहिए।
उत्तर रचनात्मक लेख लिखते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए। जैसे-

  • सबसे पहले, विषय के शीर्षक को अच्छी प्रकार से समझ लेना चाहिए।
  • शुद्ध, स्पष्ट तथा सरलता शब्दों वाली भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
  • इस प्रकार के लेख में केवल दिए गए विषय पर ही ध्यान देना चाहिए क्योंकि यह एक संक्षिप्त शैली है।
  • इधर-उधर की बातें लिखना उचित नहीं होता। एक भी वाक्य अनावश्यक नहीं होना चाहिए क्योंकि इसमें शब्द सीमा होती है।
  • प्रत्येक वाक्य एक-दूसरे से परस्पर संबंधित होने चाहिए।
  • प्रथम एवं अंतिम वाक्य प्रभावशाली होना चाहिए।
  • असल में ऐसे विषय के साहचर्य से जो भी सार्थक और सुसंगत विचार हमारे मन में आते हैं, उन्हें हम यहाँ व्यक्त कर सकते हैं।
  • अपेक्षाकृत स्पष्ट फोकस वाले विषय मिलने पर (मसलन, टी.वी. धारावाहिकों में स्त्री) इस विचार–प्रवाह को थोड़ा नियंत्रित रखना पड़ता है। इन पर लिखते हुए विषय में व्यक्त वस्तुस्थिति की हम उपेक्षा नहीं कर सकते।
  • किसी भी विषय पर एक ही व्यक्ति के ज़ेहन में कई तरीकों से सोचने की प्रवृत्ति होती है। ऐसी स्थिति अगर आपके साथ हो, तो सबसे पहले दो–तीन मिनट ठहर कर यह तय कर लें कि उनमें से किस कोण से उभरनेवाले विचारों को आप थोड़ा विस्तार दे सकते हैं। यह तय कर लेने के बाद एक आकर्षक–सी शुरुआत पर विचार करें।
  • शुरुआत से आगे बात कैसे सिलसिलेवार बढ़ेगी, इसकी एक रूपरेखा ज़ेहन में होनी चाहिए। आपकी कही गई बातें न सिर्फ आपस में जुड़ी हुई हों, बल्कि उनमें तालमेल भी हो। अगर आपकी दो बातें आपस में ही एक–दूसरे का खंडन करती हों, तो यह लेखन का ही नहीं, किसी भी तरह की अभिव्यक्ति का एक अक्षम्य दोष है।

Q7. रचनात्मक लेखन के विषय के बारे में बताइए।
उत्तर रचनात्मक लेख लिखने के लिए किसी भी तरह के विषय दिए जा सकते हैं। जैसे – 

  • घर के कबाड़घर में रखा पुराना टी.वी.
  • प्रातः काल योग करते लोग
  • कितना कुछ देती है प्रकृति
  • मौसम की पहली बारिश
  • मोबाइल खेलों की बढ़ती लत
  • मेरी पसंदीदा कहानी
  • बाल मजदूरी हमारे घरों में
  • लोकतंत्र में चुनावों की भूमिका
  • इंटरनेट एक वरदान
  • घने कोहरे में लंबी यात्रा
  • उदय होता हुआ सूरज
  • हर घर तिरंगा
  • बाढ़ का दृश्य
  • जल संरक्षण
  • स्वच्छता बने आदत
  • श्रम का महत्त्व
  • भारतीय नारी
  • बढ़ती जनसंख्या : घटती संसाधन 
  • इत्यादि।

Q8. कक्षा 11 या 12 के रचनात्मक लेखन के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर – कक्षा 11 या 12 के रचनात्मक लेखन के उदाहरण देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए । 

Q9. रचनात्मक लेखन कितने अंकों का पूछा जाता है।
उत्तर रचनात्मक लेखन 6 अंकों लिए पूछा जाता है।

Q10. क्या रचनात्मक लेखन में पूरे मार्क्स मिल सकते हैं ?
उत्तर – जी हां! जब आप सभी मुख्य बातों को ध्यान में रखकर लिखेंगे तो रचनात्मक लेखन में पूरे मार्क्स मिल सकते हैं।

 

निष्कर्ष – Conclusion

इस लेख में रचनात्मक-लेखन के बारे में कक्षा 11, 12 के प्रश्नानुसार जानकारी दी गई है। आप सभी जानते हैं कि इस प्रकार के विषयों पर अपने विचार प्रकट करने के लिए निरंतर अभ्यास की आवश्यकता रहती है। अतः इस लेख में उदाहरण सहित कुछ लेख दिए गए हैं जिससे आपको इस विषय को हल करने में सहायता मिलेगी। रचनात्मक लेखन एक ऐसा माध्यम है जो लेखक को उसकी भावनाओं और विचारों को सहजता और सजीवता के साथ प्रस्तुत करने का अवसर देता है। यह लेख आपको परीक्षा में प्रश्न हल करने में सहायक सिद्ध होगा। 

 

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